मुंबई: नए कृषि कानूनों के खिलाफ भारत बंद में व्यापारियों और ट्रांसपोर्टरों के शामिल नहीं होने से मंगलवार को मुंबई, ठाणे सहित देश भर के अधिकांश खुदरा और थोक बाजार खुले रहे। हालांकि नवी मुंबई स्थित पांचों कृषि मंडियां बंद रही। क्योंकि माथाड़ी कामगारों के संगठनों ने बंद में शामिल होने का निर्णय लिया था। इसलिए कृषि मंडियों में कारोबार पूरी तरह ठप रहा। इन बाजारों को छोड़ अन्य सभी बाजार खुले रहे, लेकिन कुछ बाजारों में ग्राहकों के कम आने से कारोबार करीब 10 से 15 प्रति‍शत प्रभावित हुआ।

व्यापारिक महासंघ कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) और ट्रांसपोर्ट सेक्टर के प्रमुख संगठन आल इंडिया ट्रांसपोर्ट वेलफेयर एसोसिएशन (AITWA) ने बंद में शामिल नहीं होने का निर्णय लिया था। इस कारण पूरे महानगर में भी इस बंद का कोई असर नहीं दिखा। ज्यादातर इलाकों में सभी प्रकार के व्यापार एवं ट्रांसपोर्ट नियमित रूप से चल रहे थे एवं बाजारों में आम दिनों की तरह ग्राहक भी दिखाई पड़ रहे थे। पुलिस विभाग द्वारा सुरक्षा के सभी प्रकार के इंतजाम किए गए थे।

‘कैट’ के महानगर अध्यक्ष शंकर ठक्कर ने बताया कि किसानों द्वारा बुलाए गए एवं कुछ राजनीतिक दलों द्वारा समर्थित भारत बंद का बाजारों और ट्रांसपोर्ट सेवा पर कोई खास असर नहीं पड़ा है। हर रोज की तरह से बाज़ारों में कारोबारी लेन-देन जारी रहा। माल ढुलाई के लिए ट्रांसपोर्ट भी चालू रहा। मुंबई और देशभर में सभी थोक और रिटेल मार्केटों में सामान्य दिनों की तरह से ही कारोबार हुआ। कोरोना महामारी की वजह से पहले ही अनेक बाजार काफी दिन बंद रहे हैं और अभी व्यापारी इससे उबरे भी नहीं हैं। इसलिए किसानों के इस भारत बंद में शामिल होने से हमने इनकार कर दिया था।

ऐटवा के अध्यक्ष प्रदीप सिंघल का दावा है कि देश में परिवहन व्यवसाय अन्य दिनों की तरह ही पूरी तरह चालू रहा। देशभर में लगभग 30 हजार ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन और लगभग एक करोड़ ट्रांसपोर्ट कंपनियां और कुरियर कंपनियां हैं। लगभग 90 लाख ट्रक और अन्य परिवहन वाहन प्रतिदिन सड़कों पर निकलते हैं, जिसमें से लगभग 20 लाख ट्रक प्रतिदिन विभिन्न राज्यों के बीच तथा बाकी परिवहन वाहन शहरों में माल की आवाजाही के लिए इस्तेमाल होते हैं। आज भी ट्रांसपोर्ट द्वारा माल की आवाजाही पूरी तरह जारी रही।

कपड़ा बाजार की प्रमुख संस्था भारत मर्चेंटस चैम्बर के ट्रस्टी श्रीप्रकाश केडिया ने कहा कि एक दिन के भारत बंद का कपड़ा बाजार पर भी कोई बड़ा असर नहीं हुआ। कालबादेवी में सभी मार्केट और अधिकांश दुकानें खुली रहीं। हालांकि कारोबार अवश्य प्रभावित हुआ। क्यों‍कि लोगों में बंद को लेकर असमंजस की स्थिति थी। इसलिए ग्राहक कम दिखे और कारोबार करीब 25-30 प्रतिशत कम हुआ। वैसे कपड़ा बाजार अभी भी कोरोना संकट से पूरी तरह नहीं उबर पाया है। आम जनता के लिए लोकल ट्रेन सेवा बंद होने से कारोबार कमजोर ही चल रहा है।