जयपुर: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राजस्थान की राजधानी जयपुर में स्थित राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान (एनआईए) को आज आयुर्वेद मानद विश्वविद्यालय का दर्जा दिया। इस अवसर पर आयोजित ऑनलाईन कार्यक्रम में श्री मोदी ने आयुर्वेद दिवस के मौके पर राजस्थान को यह सौगात दी। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि यह सच है कि भारत के पास आरोग्य से जुड़ी बहुत बड़ी विरासत हैं, लेकिन यह भी उतना ही सही है कि यह ज्ञान ज्यादातर किताबों एवं शास्त्रों में रहा है और थोड़ा-बहुत दादी-नानी के नुस्खों में, इस ज्ञान को आधुनिक जरूरतों के मुताबिक विकसित किया जाना जरूरी है।

आयुर्वेद भारत की विरासत है
उन्होंने कहा कि आयुर्वेद भारत की विरासत है जिसके विस्तार में पूरी मानवता की भलाई समाई हुई है। हमारा पारंपरिक ज्ञान अब दूसरे देशों को भी समृद्ध कर रहा है। इससे हर भारतीय को खुशी होगी। यह गर्व की बात है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन बनाने के लिए भारत को चुना है।

आयुर्वेद में नए शोध होंगे
देश में अब हमारे पुरातन चिकित्सीय ज्ञान-विज्ञान को 21वीं सदी के आधुनिक विज्ञान से मिली जानकारी के साथ जोड़ा जा रहा है, नई शोध की जा रही है। उन्होंने कहा कि आयिुर्वेद सस्थानों के राष्ट्र के प्रति समर्पण से वैश्विक नेतृत्व की भूमिका निभाने की उम्मीद हैं। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद में नए शोध होंगे और यह मुख्य चिकित्सा में शामिल होंगे। उन्होंने कोरोना काल में आयुर्वेद शोधकर्ताओं और सभी चिकित्सकों को कोरोना वाॅरियर्स के रुप में काम करने पर बधाई भी दी।

एनआईए को डीम्ड यूनिवर्सिटी का दर्जा
इस अवसर पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी कार्यक्रम से जुड़े और कहा कि एनआईए को डीम्ड यूनिवर्सिटी का दर्जा मिलने से प्रदेश को और लाभ पहुंचेगा। उन्होंने कहा कि राजस्थान आयुर्वेद में पहले ही अग्रणी हैं और प्रदेश के हर जिले में आयुर्वेद चिकित्सा उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद में फार्मासिस्ट के पद सृजित किये जाने चाहिए। इसी तरह केन्द्रीय आयुष निर्सिंग परिषद की स्थापना एवं नाड़ी विज्ञान अधिकारी का प्रसार भी किया जाना चाहिए।