• वर्ष 2017 में जिला महिला अस्पताल में लांच हुआ था त्रैमासिक गर्भनिरोधक इंजेक्शन
  • पांच साल में इंजेक्शन अपनाने वालों की संख्या में इजाफा
  • परिवार सीमित रखने और दो बच्चों के जन्म में अंतर रखने में कारगार

हमीरपुर:
परिवार नियोजन के अस्थाई साधनों के रूप में वर्ष 2017 में लांच किया गया त्रैमासिक गर्भनिरोधक इंजेक्शन अंतरा बहुत कम समय में महिलाओं की पहली पसंद बन गया। साल दर साल इसके लाभार्थियों की संख्या में बढ़ोत्तरी हो रही है। परिवार सीमित रखने और दो बच्चों के जन्म में अंतर रखने के लिए इस इंजेक्शन की मांग काफी बढ़ी है। अंतरा के साथ ही छाया टेबलेट भी लांच हुई थी, इसके भी लाभार्थी धीरे-धीरे बढ़े हैं।

कुरारा ब्लाक के एक गांव की 22 वर्षीया विवाहिता सुनीता बताती हैं कि अंतरा इंजेक्शन के बारे में जब पता चला तो पहले थोड़ी हिचक हुई, लेकिन जब से इसे अपनाया है तब से अनचाहे गर्भ की टेंशन नहीं रहती। वह एक बच्चे की मां हैं और दूसरा बच्चा अभी नहीं चाहती हैं। इसी तरह सुमेरपुर ब्लाक के एक गांव की लक्ष्मी देवी भी प्रत्येक तीन माह में एक बार अंतरा इंजेक्शन ले रही हैं। उन्होंने बताया कि उनके दो बच्चे हैं और अभी नसबंदी ऑपरेशन भी नहीं कराना चाहती हैं, इसलिए अंतरा को अपनाया है। इससे किसी किस्म की कोई दिक्कत नहीं है।

तीन माह तक गर्भधारण की चिंता से मुक्ति
जिला महिला अस्पताल की सीएमएस डॉ.फौजिया अंजुम नोमानी ने कहा कि अंतरा इंजेक्शन के लाभार्थियों की संख्या तेजी से बढ़ी है। एक इंजेक्शन लगवाने के तीन माह तक गर्भधारण की चिंता से मुक्ति मिल जाती है। इंजेक्शन कारगर है। अभी तक किसी महिला को बहुत गंभीर समस्या नहीं हुई है।

जिला महिला अस्पताल के एलएचवी (वूमेन हेल्थ विजिटर) विजय लक्ष्मी अवस्थी बताती हैं कि अस्थाई साधनों के रूप में जब से अंतरा इंजेक्शन और छाया टेबलेट लांच हुई है, तब से नसबंदी ऑपरेशन भी कम हुए हैं। महिलाएं इंजेक्शन को तेजी से अपना रही हैं। इंजेक्शन लेने वाली महिलाएं किसी किस्म की कोई दिक्कत होने पर टोल फ्री नंबर 18001033044 पर कॉल भी कर सकती हैं। उनकी समस्या का समाधान हो जाता है। लॉजिस्टिक मैनेजर अजय कुमार ने बताया कि इंजेक्शन जिला महिला अस्पताल के साथ-साथ सभी सीएचसी-पीएचसी और सब सेंटर में उपलब्ध है।

साल दर साल बढ़े अंतरा के लाभार्थी
परिवार नियोजन कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ.पीके सिंह ने बताया कि वर्ष 2020 में अंतरा इंजेक्शन लेने वाले लाभार्थियों की संख्या 1402 थी, लेकिन इस वर्ष 20 दिसंबर तक 3752 महिलाओं ने इस इंजेक्शन को अपनाया है। इसी तरह छाया टेबलेट के लाभार्थी गत वर्ष 4571 थे और इस वर्ष 12356 महिलाएं इस टेबलेट को अपना चुकी हैं। महिला नसबंदी के केस भी बढ़े हैं। इस साल अब तक 1344 महिलाओं और 20 पुरुषों के नसबंदी ऑपरेशन हुए हैं। कॉपर टी और प्रसव पश्चात कॉपर टी जैसे अस्थाई साधनों को अपनाने वाले भी बढ़े हैं।