जो बाइडन के नेतृत्व में अमरीका की नई सरकार की नीतियों के बारे में पश्चिमी संचार माध्यमों में तरह तरह के अनुमान लगाए जा रहे हैं। हालांकि वर्तमान राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प ने अभी तक चुनाव परिणामों को स्वीकार नहीं किया है लेकिन चुनाव से कुछ दिन पहले बाइडन ने अपनी सरकार की जिन नीतियों की घोषणा की थी उनके बारे में लगातार बातें हो रही हैं। यमन की “26 सितम्बर” नामक वेबसाइट ने भी एक लेख में यमन और सऊदी अरब के मामलों में अमरीका की नई सरकार के संभावित फ़ैसलों की समीक्षा की है। वेबसाइट ने लिखा है कि हालांकि बाइडन ने चुनाव में अपनी जीत से पहले यमन जैसे मामलों में अपनी नीतियों की घोषणा की है लेकिन बहुत से लोगों का मानना है कि यमन पर हमले जैसे मामलों के बारे में अमरीका की नई सरकार की नीति सऊदी अरब से विशिष्टता हासिल करने की होगी लेकिन इसके लिए डेमोक्रेटिक पार्टी का तरीक़ा ही इस्तेमाल किया जाएगा। इसके अलावा सऊदी अरब के ख़िलाफ़ अमरीका की नई सरकार का रवैया, ट्रम्प और सऊदी युवराज के बीच गठजोड़ पर खुली आलोचना के स्तर का होगा इस लिए इतना तो अवश्य कहा जा सकता है कि बाइडन का रुख़, यमन के ख़िलाफ़ हमले जारी रहने के संबंध में उनकी नीति की अनदेखी करते हुए निश्चित रूप से अमरीका की ओर से सऊदी अरब का समर्थन जारी रखने पर होगा।

अमरीका के निर्वाचित राष्ट्रपति ने चुनाव से पहले अपने एक भाषण में कहा था कि अगर वे चुनाव जीत गए तो रियाज़ के साथ वाॅशिंग्टन के संबंधों पर पुनर्विचार करेंगे और यमन युद्ध के संबंध में अमरीका के समर्थन को समाप्त करेंगे। उन्होंने कहा था कि अपने निकट घटकों तक के संबंध में प्रजातांत्रिक मान्यताओं और मानवाधिकार पर कटिबद्धता हमारी प्राथमिकताओं में होगी। इस यमनी वेबसाइट ने अपने लेख में बाइडन के चुनाव पूर्व बयानों विशेष कर जमाल ख़ाशुक़जी हत्या पर उनके रुख़ और हालिया रिपोर्टों की तरफ़ इशारा करते हुए लिखा है कि अमरीका की नई सरकार वाइट हाउस और रियाज़ की राजशाही सरकार के संबंधों पर सऊदी अरब के ख़िलाफ़ नीति नहीं अपनाएगी बल्कि रियाज़ पर ज़्यादा से ज़्यादा दबाव डाल कर उससे विशिष्टताएं लेने की कोशिश करेगी। ये विशिष्टताएं यमन पर सैन्य हमले, जमाल ख़ाशुक़जी की हत्या और सऊदी अरब में राजनैतिक प्रतिस्पर्धियों के मामले उठा कर हासिल की जाएंगी।

वेबसाइट ने लिखा है कि जानकार राजनैतिक सूत्रों को प्रतीक्षा है कि अमरीका की नई सरकार, इन मामलों को डेमोक्रेट्स के नारों विशेष रूप से मानवाधिकार से संबंधित नारों के अनुसार फिर से खोलेगी, चाहे इसके लिए वर्तमान युवराज मुहम्मद बिन सलमान को उनके पद से हटाना और ख़ालिद बिन सलमान को नया युवराज ही क्यों न बनाना पड़े। बिन सलमान को उनके पद से हटाने के लिए यमन के युद्ध और ख़ाशुक़जी की हत्या जैसे दो मामलों का सहारा लिया जाएगा विशेष कर इस लिए भी ख़ाशुक़जी की हत्या का मामला अमरीकी कांग्रेस तक पहुंच गया था और अमरीकी सरकार इस मामले को समाप्त करना चाहती है।

2 अक्तबूर सन 2018 को सऊदी अरब के सरकार विरोधी पत्रकार जमाल ख़ाशुक़जी को इस्तंबोल में सऊदी वाणिज्य दूतावास में बड़ी निर्ममता से क़त्ल कर दिया गया था और उनकी हत्या का आदेश सीधे सऊदी अरब के युवराज मुहम्मद बिन सलमान ने दिया था। गत सात सितम्बर को सऊदी अरब के एक न्यायालय ने इस मामले में लिप्त लोगों की मौत की सज़ा को निरस्त करते हुए केलव आठ लोगों को सात, दस और बीस साल की सज़ा सुनाई थी। इस यमनी वेबसाइट ने अपने लेख के अंत में लिखा हैः अमरीका के जानकार राजनैतिक सूत्रों का कहना है कि सऊदी अरब के युवराज ने अेनक अपराध किए हैं और ऐसे चिन्ह मौजूद हैं जिनसे पता चलता है कि वे अपने भाई को युवराज की गद्दी दिए जाने के बदले में अपने पद से हटने पर मजबूर कर दिए जाएंगे। इसका मतलब यह है कि अगर सऊदी नरेश सलमान बिन अब्दुल अज़ीज़ का स्वास्थ्य बिगड़ता है तो फिर ख़ालिद, सऊदी अरब के सिंहासन पर बैठेंगे।