अयोध्या: अयोध्या में राम मंदिर की जमीन को लेकर लगातार सवाल उठ रहे सवालों के बीच मेयर ऋषिकेष उपाध्याय ने सफाई पेश की है. विवादित जमीन की दोनों रजिस्ट्री के दौरान गवाह रहे मेयर ने कहा कि जमीन भव्य राममंदिर बनाने के लिए और वास्तु दोष दूर करने के लिए खरीदी गई है. इसमें जरा सी भी गड़बड़ी नहीं है.

उन्होंने साफ किया कि राम मंदिर ट्रस्ट ने ये जमीन बाजार के भाव पर खरीदी है. मेयर ने ये भी साफ किया कि जिन लोगों ने इस जमीन को बेचा है उन्होंने कई साल पहले इसका एग्रीमेंट कराया था. जो बीच-बीच में रीन्यू होता रहा. मेयर ने कहा कि कुछ दिक्कत की वजह से जमीन नहीं खरीद पा रहे थे. जब दिक्कतें दूर हो गईं तो ट्रस्ट और बेचने वालों के बीच सहमति बन गई और जमीन खरीद ली गई. मेयर ने कहा कि इस मामले पर राम मंदिर ट्रस्ट प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपनी बात रखेगा.

उधर डॉक्टर रामविलास वेदांती का कहना है ये सब राजनीतिक और अंतराष्ट्रीय षड्यंत्र है. ट्रस्ट में एक-एक पैसे का ऑडिट होता है, जब जमीन के मालिक ने एग्रीमेंट जब किया था तब उसका भाव दूसरा था और जब ट्रस्ट को बेचा गया तब तक भाव बढ़ चुका था. चंपत राय ईमानदार आदमी हैं, ये सब रामभक्तों को बदनाम करने की साज़िश है जैसा राजनीतिक दल पहले भी करते आए हैं.

मेयर से पहले सचिव चंपत राय ने कहा था कि मंदिर की जमीन खरीद में फ्रॉड के आरोप राजनीतिक घृणा से प्रेरित हैं, उन्होंने कहा कि अब तक जितनी भी जमीन खरीदी गई है वह बाजार भाव से काफी कम कीमत पर खरीदी गई है. चंपत राय ने भी कहा था कि खरीद-बेच का काम आपसी संवाद और सहमति के आधार पर किया जा रहा है. उन्होंने साफ किया कि इसके लिए स्टैंप पेपर की खरीदारी ऑनलाइन की जा रही है. उसी के हिसाब से पूरी कीमत बेचने वाले के खाते में ऑनलाइन ट्रांसफर की जा रही है.

एसपी लीडर ने जमीन खरीद में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है. उनका कहना है कि जिस जमीन का बैनामा 2 करोड़ रुपये में कराया गया उसका एग्रीमेंट 10 मिनट में 18.50 करोड़ रुपये में कर दिया गया. उन्होंने कई डाक्युमेंट्स पेश करते हुए इसकी सीबीआी जांच की मांग की है.