लखनऊ।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथो जेवर एयरपोर्ट के शिलान्यास पर कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए बुलेट ट्रेन की तरह इसे भी तमाशा बताया है.

उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि विकास के हर मोर्चे पर विफल सरकार झूठा प्रोपोगेंडा फैलाती रही, अब चुनाव के समय ज़ेवर एयरपोर्ट के शिलान्यास की हकीकत प्रदेश का जनमानस समझ रहा है, जिन किसानों से उनकी स्वाभिमान का प्रतीक जमीनें अधिग्रहित की गईं, उस अधिग्रहण में भूमि अधिग्रहण कानून की धज्जियां उड़ाकर संविधान और किसान के सम्मान को पैरों तले रौंदा गया,जिस जमीन को लेकर सरकार शिलान्यास का भव्यता बनाकर जश्न मना रही उस जमीन के मालिक अन्नदाता को मुआवजा नही मिलना भाजपा सरकार और प्रधानमंत्री की संवेदनहीनता की पराकाष्ठा को दर्शाता है.

भाजपा के ऐसे इवेंट और शिलान्यास के तमाशे कोई नए नहीं हैं इससे पहले भी एक बड़ा भव्य जश्न का का इवेंट बुलेट ट्रेन का किया गया था,जनमानस उस तमाशे को भूला नही है, यह उसी कहावत को चरितार्थ करता है कि रोम जल रहा था और नीरो बांसुरी बजा रहा था, हज़ारों किसान परिवार मुआवज़े के लिए आंदोलनरत होकर परेशान हो भटक रहे हैं, सैकड़ों उजाड़े गये किसान परिवार खुले आसमान के नीचे अभी भी हैं, लेकिन संवेदनहीन भाजपा सरकार को कोई फिक्र नही, यह जश्न 700 किसानों की शहादत का मज़ाक़ है। जिन परिवारों में अंधेरा है भाजपा सरकार उनको चिढ़ाने का काम कर रही है।

प्रधानमंत्री ने इससे पहले भी कहा था कि हवाई चप्पल पहनने वाले हवाई जहाज में घूमेंगे। लेकिन हवाई चप्पल वाले ही नहीं गाड़ी पर चलने वाले बर्बाद हो गये। आर0बी0आई0 के आंकड़े बता रहे हैं कि प्रदेश के लोगों की आय घटकर आधी राह गयी,बेरोजगारी बढ़ गयी, ज़ेवर में हवाई अड्डे का शिलान्यास करने वाली भाजपा सरकार ने कोरोना काल में लोगों को इलाज में अपने ज़ेवर बेचने पर मजबूर कर दिया।

यह जश्न ऐसे समय मनाया जा रहा है जब सरकार की गलत नीतियों के चलते देश की अर्थव्यवस्था जी0डी0पी0 बर्बाद हो गयी, अर्थव्यवस्था बुरे हाल में, हवाई अड्डे का तमाशा किसके लिए।प्रधानमंत्री जी ये भी बता देते कि इस ज़ेवर एयरपोर्ट को नीलाम किसे करेंगे–अडानी को या अंबानी को ?

यदि सरकार को किसानों की चिंता होती तो नगला शरीफ,किशोर पुर,बनवारी पुर,परोही, रुहेड़ा, दयानक पुर गांव हों या रोही गांव जहाँ के लोगों को मुआवजा नही मिला,अन्नदाता आंदोलनरत हैं, पहले ग्रामीण क्षेत्र की जमीनों का लैंड यूज बदल शहरी किया और उसके बाद भी मुआवजा ग्रामीण क्षेत्र के सर्किल रेट में दिया जा रहा का दिया जा रहा भाजपा सरकार जमीन शहरी मान रही और आबादी ग्रामीण सिर्फ इसलिए कि अन्नदाता को उचित मुआवजा न मिलने पाए