नई दिल्ली, देश में कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच ब्‍लैक फंगस और व्‍हाइट फंगस के बाद अब येलो फंगस ने भी दस्‍तक दे दी है. येलो फंगस का पहला मामला गाजियाबाद में देखने को मिला है. येलो फंगस अभी तक मरीजों मे मिले ब्‍लैक और व्‍हाइट फंगस से ज्‍यादा खतरनाक बताया जा रहा है.

येलो फंगस ब्‍लैक और व्‍हाइट फंगस से ज्‍यादा खतरनाक है और घातक बीमारियों में से एक है. येलो फंगस पहले शरीर को अंदर से कमजोर करता है. येलो फंगस से पीड़ित मरीज को सुस्‍ती लगना, कम भूख लगना या फिर बिल्‍कुल भूख खत्‍म होने की शिकायत रहती है. फंगस का असर जैसे जैसे बढ़ता है ये मरीज का वजन तेजी से कम होने लगता है और ये काफी घातक हो जाता है. अगर इस दौरान किसी को घाव है तो उसमें से मवाद का रिसाव होने लगता है और घाव बहुत धीमी गति से ठीक होता है. इस दौरान मरीज की आंखें धंस जाती है और कई अंग काम करना बंद कर देते हैं.

प्रोफेसर डॉ. बीपी त्यागी ने बताया कि गाजियाबाद में येलो फंगस का पहला मामला सामने आया है. मरीज़ का अस्पताल में इलाज जारी है. मरीज येलो फंगस के साथ ब्लैक और व्‍हाइट फंगस से भी ग्रसित है. मरीज संजय नगर का रहने वाला है, जो 45 साल का है. ENT स्पेशलिस्ट प्रोफेसर डॉ. बीपी त्यागी ने बताया कि मुकोर सेप्टिकस (पीले फ़ंगस) के लक्षण हैं. सुस्ती, कम भूख लगना या बिल्कुल भी भूख न लगना और वजन कम होना. जैसे-जैसे यह आगे बढ़ता है. वैसे की गंभीर लक्षण जैसे मवाद का रिसाव करना और खुले घाव का धीमी गति से ठीक होना और सभी घावों की धीमी गति से भरना, कुपोषण और अंग विफलता और परिगलन के कारण धंसी हुई आंखें.

वहीं, दूसरी ओर मरीज के तीमारदार के मुताबिक पिछले दो महीने से मरीज का कोरोना का इलाज चल रहा था और मरीज रिकवर भी कर रहा था. मगर पिछले 4 दिन से एक तरफ सूजन आनी शुरू हुई साथ ही आंख भी बंद हो गई. इतना ही नहीं मरीज के नाक से खून बहना. साथ ही पेशाब में भी खून का जाना शुरू हो गया. आनन-फानन में मरीज को अस्पताल में भर्ती कराया गया. जहां जांच में येलो फंगस के बारे में पता चला.

गाजियाबाद के मुख्य चिकितस्या अधिकारी डॉ. एनके गुप्ता के मुताबिक जिले में पीले फंगस के मामले की अभी कोई सूचना नहीं मिली है. हालांकि गाजियाबाद के ही ईएनटी स्पेशलिस्ट का कहना है कि उन्होंने भी अपने कॅरियर में पहली दफा येलो फंगस देखा है.