नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को राज्यसभा में अपने भाषण में कहा कि कृषि कानून जरूरी कानून हैं और इन्हें लागू करने का यह सही समय है। उन्होंने किसानों से आंदोलन खत्म करने की अपील की। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें एक बार देखना चाहिए कि कृषि परिवर्तन से बदलाव होता है कि नहीं। कोई कमी हो तो उसे ठीक करेंगे, कोई ढिलाई हो तो उसे कसेंगे।

‘आंदोलनजीवी’
मोदी ने कहा कि मैं देख रहा हूं कि पिछले कुछ समय से इस देश में एक नई जमात पैदा हुई है ‘आंदोलनजीवी’। वकील, छात्रों, मजदूरों के आंदोलन में ये लोग नज़र आते हैं। ये पूरी एक टोली है जो आंदोलन के बिना जी नहीं सकते हैं और आंदोलन से जीने के लिए रास्ते खोजते रहते हैं।

एमएसपी है, था और रहेगा
प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं विश्वास दिलाता हूं कि मण्डियां और अधिक आधुनिक बनेंगी। एमएसपी है, एसएसपी था और एमएसपी रहेगा। उन्होंने कहा कि मनमोहन सिंह ने जो कहा था वही कृषि सुधार किया गया है। हर सरकारों ने कृषि सुधारों की वकालत की है। सुधारों की बात करे विपक्ष ने यू-टर्न ले लिया। पीएम ने कहा कि आंदोलनकारियों को समझाते हुए देश को आगे बढ़ाना होगा।

क्यों हो रहा है किसान आद्नोलन
किसान आंदोलन को लेकर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि किसान आंदोलन पर सभी बात कर रहे हैं लेकिन सदन में किसी ने ये नहीं बताया कि किसान आंदोलन क्यों हो रहा है। आंदोलन की मूल बातों पर चर्चा होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि 86 फीसदी किसानों के पास 2 हेक्टेयर से कम जमीन है। पहले छोटे किसानों को कर्जमाफी का फायदा नहीं मिलता था।

विपक्ष ने लिया यू टर्न
पीएम ने कहा कि शरद पवार, कांग्रेस और हर सरकार ने कृषि सुधारों की वकालत की है कोई पीछे नहीं है। मैं हैरान हूं अचानक यूटर्न ले लिया। आप आंदोलन के मुद्दों को लेकर इस सरकार को घेर लेते लेकिन साथ-साथ किसानों को कहते कि बदलाव बहुत जरूरी है तो देश आगे बढ़ता। मनमोहन सिंह जी ने किसान को उपज बेचने की आज़ादी दिलाने, भारत को एक कृषि बाज़ार दिलाने के संबंध में अपना इरादा व्यक्त किया था और वो काम हम कर रहे हैं। आप लोगों को गर्व होना चाहिए कि देखिए मनमोहन सिंह जी ने कहा था वो मोदी को करना पड़ रहा है।

देश अस्थिर कर रहे हैं लोग
पीएम ने कहा कि भारत अस्थिर, अशांत रहे इसके लिए कुछ लोग लगातार कोशिश कर रहे हैं हमें इन लोगों को जानना होगा। हम ये न भूलें कि जब बंटवारा हुआ तो सबसे ज़्यादा पंजाब को भुगतना पड़ा, जब 1984 के दंगे हुए सबसे ज़्यादा आंसू पंजाब के बहे। कुछ लोग खासकर पंजाब के सिख भाईयों के दिमाग में गलत चीजें भरने में लगे हैं, ये देश हर सिख के लिए गर्व करता है। कुछ लोग उनके लिए जो भाषा बोलते हैं, उनको गुमराह करने की कोशिश करते हैं इससे कभी देश का भला नहीं होगा।

लोकतंत्र पर उपदेश
उन्होंने कहा कि यहां लोकतंत्र को लेकर काफी उपदेश दिए गए हैं। मैं नहीं मानता कि जो बातें बताई गई हैं देश का कोई भी नागरिक उन पर भरोसा करेगा। भारत का लोकतंत्र ऐसा नहीं है जिसकी खाल हम इस तरह से उधेड़ सकते हैं, ऐसी गलती हम न करें। हमारा लोकतंत्र किसी भी मायने में वेस्टर्न इंस्टीट्यूशन नहीं है। ये एक ह्यूमन इंस्टीट्यूशन है। भारत का इतिहास लोकतांत्रिक संस्थानों के उदाहरणों से भरा पड़ा है। प्राचीन भारत में 81 गणतंत्रों का वर्णन मिलता है।