मुंबई: अपनी सहयोगी बीजेपी पर एक बार फिर निशाना साधते हुए शिवसेना ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘भगवान’ बताने के लिए पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की आलोचना की और चेतावनी दी कि ‘भक्तगण’ ही नेताओं को संकट में डालेंगे।

केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू ने हाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा करते हुए उन्हें ‘भारत के लिए भगवान का वरदान’ बताया था। मंत्रिमंडल के एक और नेता राधा मोहन सिंह ने भी मोदी की प्रशंसा करते हुए ऐसी ही बात कही थी। इस पर व्यंगात्मक लहजे में शिवसेना ने पूछा कि क्या भारत के प्रधान न्यायाधीश टीएस ठाकुर ने रविवार को बढ़ते मामलों की संख्या देखते हुए न्यायाधीशों की संख्या बढ़ाने की जो भावनात्मक अपील की उसे क्या मोदी सरकार की ‘उपलब्धि’ मानी जाए।

शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में कहा, ‘बीजेपी के वरिष्ठ नेता बयान जारी कर रहे हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भगवान के ‘अवतार’ हैं, चूंकि उन्हें भगवान बना दिया गया है तो उनके नाम से मंदिर भी बनेगा और उनके नाम से त्योहार भी मनेगा। अयोध्या में राम मंदिर नहीं बनाया जा सकता, लेकिन इस नए भगवान के नाम से ‘श्लोक’ पढ़े जाएंगे।’ इसने कहा कि बीजेपी को याद रखना चाहिए कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने विज्ञापनों पर काफी धन खर्च किया था, लेकिन 1975-77 के चुनाव के बाद सत्ता से बाहर हो गईं।

पार्टी ने कहा, ‘भक्त ही नेताओं और भगवानों को संकट में डालते हैं। यह महाभारत से लेकर दिल्ली में वर्तमान राजनीतिक स्थिति तक हो रहा है।’ उसने कहा, ‘भारत के प्रधान न्यायाधीश प्रधानमंत्री के सामने भावुक हो गए (न्यायाधीशों की संख्या बढ़ाने की अपील करते हुए)। क्या इसे मोदी नीत सरकार की उपलब्धि मानी जानी चाहिए।’ इसने कहा, ‘देश का 33 फीसदी हिस्सा सूखे से प्रभावित है और मराठवाड़ा (महाराष्ट्र में) तथा बुंदेलखंड (मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में फैला पिछड़ा इलाका) निर्जन हो गया है, कब्रगाह की तरह प्रतीत होता है। सरकार की योजनाएं वहां दो वर्षों में भी नहीं पहुंच पाई है। इसे पूर्ववर्ती सरकार की विफलता नहीं बताया जा सकता।’

शिवसेना के मुखपत्र ने सवाल किया, ‘चुनाव से पहले काला धन वापस लाने, महंगाई कम करने, भ्रष्टाचार को खत्म करने के वादों का क्या हुआ? हम कैसे कह सकते हैं कि ये मोदी सरकार की उपलब्धियां हैं?’ उद्धव ठाकरे नीत पार्टी महाराष्ट्र में बीजेपी नीत सरकार और केंद्र सरकार की सहयोगी है। मराठी दैनिक ‘सामना’ मोदी सरकार की कई नीतियों और निर्णयों की आलोचक रही है, जो पाकिस्तान पर सरकार के रूख से लेकर उत्तराखंड राजनीतिक संकट तक उसे घेरती रही है।