नई दिल्ली: भारत और पाकिस्तान के विदेश सचिवों ने पठानकोट हमले के बाद अपनी पहली औपचारिक द्विपक्षीय वार्ता के दौरान हमले की जांच और कश्मीर समेत कई पेचीदा मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करते हुए बातचीत की। पाकिस्तानी पक्ष ने कश्मीर को ‘‘मुख्य मुद्दा’’ बताया।

विदेश सचिव एस जयशंकर ने यहां ‘हार्ट ऑफ एशिया’ सम्मेलन में भाग लेने आए अपने पाकिस्तानी समकक्ष एजाज अहमद चौधरी से मुलाकात की जिसके बाद पाकिस्तानी विदेश सचिव ने ‘‘जोर दिया कि कश्मीर मुख्य मुद्दा है जिसका संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों और कश्मीरी लोगों की भावनाओं के अनुरूप उचित समाधान निकाले जाने की आवश्यकता है।’’  हालांकि पाकिस्तान ने बातचीत के दौरान ही बयान जारी कर प्रोटोकॉल को तोड़ा है।

वहीं भारतीय विदेश मंत्रालय ने जानकारी दी कि भारतीय विदेश सचिव ने पठानकोट हमले की जांच तथा मुंबई हमलों से जुड़े मुकदमे में जल्द एवं स्पष्ट प्रगति की आवश्यकता पर जोर दिया। जयशंकर ने साफ तौर पर कहा कि द्विपक्षीय संबंधों पर आतंकवाद के प्रभाव के मुद्दे से पाकिस्तान इनकार नहीं कर सकता है।  जयशंकर ने चौधरी से कहा कि भारत को निशाना बनाने वाले पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूहों को अपनी गतिविधियों के संचालन की खुली छूट नहीं दी जानी चाहिए। भारत जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र के ‘1267 प्रतिबंध समिति’ में सूचीबद्ध करने का मुद्दा उठाएगा।

वैसे पाकिस्तानी सूत्रों ने बताया कि पठानकोट आतंकवादी हमले और पाकिस्तान में एक कथित भारतीय जासूस की गिरफ्तारी के साये में हो रही इस भेंटवार्ता हुई है। इससे पूर्व पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में बताया था कि पाकिस्तान ‘हार्ट ऑफ एशिया-इस्तांबुल प्रोसेस’ में सक्रिय भूमिका निभाता रहा है जिसे अफगानिस्तान, उसके पड़ोसियों ओर क्षेत्रीय देशों के बीच सुरक्षा, आर्थिक सहयोग और कनेक्टिविटी समेत क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा के मंच के तौर पर 2011 में स्थापित किया गया था ताकि अफगानिस्तान में स्थायी शांति एवं स्थायित्व को बढ़ावा मिले।

पाकिस्तान ने 9 दिसंबर 2015 को इस्लामबाद में पांचवें हार्ट ऑफ एशिया मंत्रिस्तरीय सम्मेलन की मेजबानी की थी। उस सम्मेलन में ‘सुरक्षा खतरों से निपटने एवं क्षेत्रीय संपर्क बढ़ाने के लिए सहयोग बढ़ाने पर जोर’ शीषर्क से इस्लामाबाद घोषणा पत्र को पारित किया गया था।