नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने देश में क्रिकेट पर ‘एकाधिकार’ के लिए बीसीसीआई की खिंचाई करते हुए कहा कि कई युवा खिलाड़ी धोनी और कोहली जैसा बनना चाहते हैं, लेकिन अगर वे क्रिकेट संस्था से नहीं जुड़े हैं तो उन्हें समान अवसर नहीं दिए जा रहे हैं।

प्रधान न्यायाधीश जस्टिस टी एस ठाकुर की अगुवाई वाली पीठ ने कहा, ‘देश में कई युवा क्रिकेट में अपना करियर बनाना चाहते हैं और इससे जुड़ी चकाचौंध के कारण धोनी और कोहली जैसा बनना चाहते हैं। अगर वे बीसीसीआई से नहीं जुड़े हैं तो उन्हें समान अवसर नहीं दिए जाते हैं। कई बार उन्हें शीर्ष पर बैठे व्यक्तियों द्वारा ही रोक दिया जाता है।’

सुप्रीम कोर्ट ने इसके साथ ही इस मामले में वरिष्ठ एडवोकेट गोपाल सुब्रहमण्यम को न्यायमित्र भी नियुक्त किया और उनसे यह पता करने में मदद करने के लिए कहा कि जस्टिस आर एम लोढ़ा समिति की आमूलचूल ढांचागत बदलावों संबंधी सिफारिशों को कैसे लागू किया जाए। बीसीसीआई और अन्य बोर्ड इसका विरोध कर रहे हैं। पीठ में जस्टिस एफ एम आई कलिफुल्ला भी शामिल थे।

पीठ ने देश भर में ‘निषेधात्मक व्यवस्था और एकाधिकार की तरह क्रिकेट’ के संचालन के लिए भी क्रिकेट संस्था से नाराजगी जताई। पीठ ने कहा कि कोई भी उसकी सहमति मिले बिना खेल नहीं खेल सकता। पीठ ने कहा, ‘आप ( बीसीसीआई) निषेधात्मक शासन चला रहे हैं, जो देश भर में फैला हुआ है। अगर खिलाड़ी क्रिकेट खेलना चाहता है तो उसका आपके साथ होना जरूरी है। आपका पूरी तरह से एकाधिकार है। आपका सदस्यों पर एकाधिकार है और आप लोगों को सदस्य बनने से रोक रहे हो।’