नई दिल्ली: वित्त मंत्रालय ने वित्त वर्ष 2015-16 के लिए भविष्य निधि (ईपीएफ) जमा पर 8.7 प्रतिशत की दर से ब्याज दिए जाने की मंजूरी दी है। हालांकि केंद्रीय न्यासी बोर्ड (सीबीटी) ने आंशधारकों की जमा पर 8.8 प्रतिशत ब्याज दिए जाने का प्रस्ताव किया था।

केंद्रीय श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने लोकसभा में एक लिखित जवाब में कहा, ‘ईपीएफओ के निर्णय लेने वाले शीर्ष निकाय सीबीटी की फरवरी, 2016 में हुई बैठक में 2015-16 के लिए केंद्रीय भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के पांच करोड़ से ज्यादा अंशधारकों के लिए 8.8 प्रतिशत की अंतरिम दर से ब्याज दिए जाने का प्रस्ताव किया था। हालांकि, वित्त मंत्रालय ने 8.7 प्रतिशत की ब्याज दर मंजूर की है।’ संभवत: यह पहला मौका है, जबकि वित्त मंत्रालय ने सीबीटी की सिफारिश नहीं मानी है और अंशधारकों को देय ब्यज में कमी की है।

ईपीएफओ ने 2013-14 और 2014-15 में 8.75 प्रतिशत का ब्याज दिया था। वर्ष 2012-13 के 8.5 प्रतिशत और 2011-12 के 8.25 प्रतिशत ब्याज दिया गया था। ईपीएफओ के सितंबर में लगाए गए अनुमान के आधार पर कहा गया था कि निकाय अंशधारकों को वर्ष 2015-16 के लिए आसानी से 8.95 प्रतिशत तक का ब्याज दे सकता है और उसके बाद भी उसके पास 100 करोड़ रुपये का अधिशेष बचेगा।

ईपीएफओ अपने अंशधारकों को अपने निवेश पर मिलने वाले रिटर्न के आधार पर ब्याज देता है। कर्मचारियों के प्रतिनिधियों ने सीबीटी की 16 फरवरी को हुई बैठक में वित्त वर्ष के लिए 9 प्रतिशत के ब्याज की मांग की थी, लेकिन सीबीटी ने 8.8 प्रतिशत का ब्याज दर पर सहमति दी थी। बाद में दत्तात्रेय ने ईपीएफओ को आश्वासन दिया था कि 2015-16 के लिए ब्याज दर को 8.8 प्रतिशत से कम नहीं किया जाएगा।