मुंबई। उत्तराखंड में केंद्र सरकार की हार के बाद शिवसेना ने निशाना साधा है। शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में लिखा कि इस मामले में मोदी सरकार का चीरहरण हुआ है, वहीं राष्ट्रपति की गरिमा को धक्का लगा है। बता दें कि गुरुवार को हाईकोर्ट ने उत्तराखंड में लगे राष्ट्रपति शासन को रद्द कर दिया था।
शिवसेना ने अपने लेख में लिखा कि हाईकोर्ट का यह कहना है कि प्रेसिडेंट भी गलती कर सकता है तो इसका मतलब मोदी सरकार से गलती हुई है। मोदी सरकार ने इस फैसले पर मुहर अपने राजनीतिक हित के कारण ही लगाई थी, लेकिन कोर्ट ने ये कोशिश नाकाम कर दी। गौरतलब है कि हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली है। वहीं हरीश रावत सरकार को 29 अप्रेल को शक्ति परीक्षण करना है।
बता दें कि पिछले दिनों उत्तराखण्ड हाईकोर्ट ने को राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने के मामले की सुनवाई के दौरान कहा था कि राष्ट्रपति भी गलत हो सकते हैं। केन्द्र सरकार ने अदालत में कहा था कि राष्ट्रपति का फैसला अदालत के क्षेत्राधिकार में नहीं आता। इस पर हाईकोर्ट ने कहा था कि हम राष्ट्रपति के विवेक पर सवाल नहीं उठा रहे हैं। सब कुछ न्यायिक समीक्षा के दायरे में है। यह मामला कोई राजा के फैसले की तरह नहीं है, जिसकी न्यायिक विवेचना न की जा सके। यही संविधान का भी सार है।कोर्ट ने कहा था कि हमारे संविधान की ये खूबी है कि राष्ट्रपति के फैसले को भी चुनौती दी जा सकती है, जैसे किसी भी जज के फैसले को रिव्यू किया जाता है, वैसा ही राष्ट्रपति के फैसले का भी रिव्यू किया जा सकता है। कोर्ट ने कहा था कि केन्द्र सरकार का राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाकर राज्यपाल के माध्यम से दिल्ली से शासन करने का निर्णय संदेहास्पद लगता है।
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