नासिक। देश में बारह ज्योतिर्लिगों में शामिल त्र्यंबकेश्वर मंदिर में सुबह उस वक्त एक बहुत बड़ा सामाजिक बदलाव देखने को मिला, जब मंदिर में तीन महिलाओं ने प्रवेश कर लिया। हालांकि स्थानीय लोगों ने इसके विरोध में बंद रखा। स्वराज्य महिला संगठन (एसएमएस) की अध्यक्ष वनीता गुट्टे की अगुवाई में सात महिला कार्यकर्ताओं को कड़ी पुलिस सुरक्षा के बीच मंदिर में प्रवेश कराया गया।

इनमें से तीन महिला कार्यकर्ताओं ने मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश किया और पूजा-अर्चना की। खुश नजर आ रहीं वनीता ने कहा कि यह ऐतिहासिक सुधार आज (गुरुवार) सुबह हुआ। अब से महिलाओं को रोज सुबह छह से सात बजे तक एक घंटे के लिए मंदिर में प्रवेश की इजाजत होगी।

जनवरी में सभी मंदिरों में महिलाओं को प्रवेश की अनुमति दिलाने के लिए अभियान शुरू करने वाली भूमाता रणरागिनी ब्रिगेड की अध्यक्ष तृप्ति देसाई ने इस कदम का स्वागत किया है। उन्होंने घोषणा की है कि वह शुक्रवार को त्र्यंबकेश्वर मंदिर जाएंगी।

एसएमएस की कार्यकर्ता गुरुवार सुबह मंदिर के प्रवेश द्वार पर एकतित्र हुईं। सुबह 6.10 बजे श्रद्धालुओं को अंदर जाने की इजाजत दी गई। इसके महज पांच मिनट बाद पुलिस अधिकारियों के साथ तीन महिलाएं मंदिर में दाखिल हुईं और गर्भगृह में पूजा-अर्चना की।

नासिक के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक प्रशांत मोहिते ने कहा कि हमने बंबई हाईकोर्ट के आदेश का मान रखते हुए महिलाओं को सुरक्षा मुहैया कराई, जो पूजा-अर्चना करना चाहती थीं। आठ अप्रैल को अहमदनगर जिले के शनि शिंगणापुर मंदिर में महिलाओं को प्रवेश की इजाजत दी गई थी।

नाराज ग्रामीणों ने बुधवार को त्र्यंबकेश्वर मंदिर में जाने की कोशिश कर रहे महिला समूहों को रोका था। दोनों पक्षों में धक्का-मुक्की हुई थी जिसमें कुछ कार्यकर्ता घायल हो गई थीं। पुलिस ने इस मामले में मंदिर के चार न्यासियों सहित करीब 150 ग्रामीणों पर दंगा व हिंसा भड़काने का मामला दर्ज किया है। ग्रामीणों ने महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की इजाजत मिलने के विरोध में गुरुवार को बंद रखा।