लखनऊ: प्रदेश में उद्योग को बढ़ावा देने के नीति के तहत मंत्रिपरिषद ने आज औद्योगिक विकास विभाग द्वारा उद्योगों की स्थापना के लिए विभिन्न कम्पनियों हेतु अधिग्रहीत की गई भूमि को फ्री-होल्ड किए जाने सम्बन्धी नीति को मंजूरी प्रदान कर दे दी है। 

औद्योगिक विकास विभाग (तत्कालीन उद्योग विभाग) द्वारा निजी कम्पनियों के लिए अधिग्रहीत भूमि, जो उद्योगों की स्थापना के लिए विभिन्न कम्पनियों को गवर्नमेन्ट ग्राण्ट एक्ट के तहत ट्रांसफर डीड/अनुबन्ध के माध्यम से दी गई हैं, को फ्री-होल्ड किए जाने पर, जो व्यवस्था की गई है, उसके अन्तर्गत ऐसी औद्योगिक इकाईयां, जो रूग्ण घोषित हों, बन्द पड़ी हों अथवा ऐसी प्रदूषणकारी, खतरनाक कार्यरत औद्योगिक इकाईयां, जो प्रदूषण के दृष्टिकोण से मानवीय स्वास्थ्य तथा सुरक्षा के लिए हानिकारक हैं और जिन्हें जनहित में अथवा पर्यावरणीय कारणों से बन्द किए जाने, शहर के बाहर स्थानान्तरित किए जाने की बाध्यता हो, को फ्री-होल्ड किया जाएगा।

बन्द पड़ी औद्योगिक इकाईयों के सम्बन्ध में फ्री-होल्ड की कार्यवाही बी0आई0एफ0आई0आर0, न्यायालयों, उच्च न्यायालयों और उच्चतम न्यायालय द्वारा रूग्ण औद्योगिक इकाईयों के सम्बन्ध में पारित किए गए आदेश का अनुपालन करते हुए, उस दशा में की जाएगी, जब वे आदेश अन्तिम हो गए हों।

ऐसी कार्यरत औद्योगिक इकाईयां, जिनके पास मानक से अधिक भूमि उपलब्ध है, ऐसी सरप्लस भूमि को फ्री-होल्ड किया जाएगा। यह फ्री-होल्ड परिवर्तन उसी दशा में अनुमन्य होगा, जब ऐसी इकाई को 1 हेक्टेयर अथवा उससे अधिक क्षेत्रफल की भूमि औद्योगिक प्रयोजन हेतु दी गई हो और ऐसी आवंटित भूमि पर वर्तमान में औद्योगिक इकाई कार्यरत हो।

ऐसी औद्योगिक इकाईयां, जिन्हें ट्रांसफर डीड  के माध्यम से भूमि दी गई है और यदि औद्योगिक इकाई वहां पर संचालित होने के बाद पूर्णतः बन्द पड़ी है और जिसे पुनर्वासित किया जाना सम्भव नहीं है, भले ही ऐसी औद्योगिक इकाई बी0एफ0आई0आर0 के निर्णय हेतु सन्दर्भित न हों, ऐसी इकाईयां विवाद रहित होने की स्थिति में इनसे अध्यासित भूमि का इस नीति की व्यवस्थानुसार फ्री-होल्ड अनुमन्य होगा।

ऐसी संचालित औद्योगिक इकाईयां, जिन्हें ट्रांसफर डीड  के माध्यम से भूमि दी गई है तथा जो विस्तार हेतु भूमि की अतिरिक्त आवश्यकता होने अथवा जिन्हें कन्जेशन, यातायात एवं परिवहन सम्बन्धी समस्याओं के कारण वर्तमान स्थल पर कार्यशील रहना व्यवहारिक नहीं है और शहर के बाह्य क्षेत्रों में स्थानान्तरण के लिए इच्छुक हों, से अध्यासित भूमि का इस नीति की व्यवस्थानुसार फ्री-होल्ड अनुमन्य होगा।

नीति के तहत औद्योगिक परियोजनाओं हेतु ट्रांसफर डीड के माध्यम से दी गई भूमि का तात्कालिक प्रभाव से चालू लीज के विधिक उत्तराधिकारी अथवा विधिक क्रेता के पक्ष में फ्री-होल्ड करने की तिथि को जिलाधिकारी द्वारा निर्धारित तत्समय प्रचलित सर्किल रेट के 15 प्रतिशत पर फ्री-होल्ड किया जाएगा। 

भूमि के फ्री-होल्ड के सम्बन्ध में शासन स्तर पर एक 8-सदस्यीय उच्च स्तरीय समिति गठित की जाएगी, जिसके अध्यक्ष अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त, उत्तर प्रदेश होंगे। इस समिति द्वारा सम्बन्धित भूमि की लोकेशन, उसके चारों ओर हो चुके विकास/निर्माण की प्रकृति, यातायात कनेक्टिविटी, भूमि की प्रचलित मार्केट वैल्यू आदि के सम्बन्ध में विचार कर फ्री-होल्ड हेतु अपनी संस्तुति प्रस्तुत की जाएगी, जिस पर मंत्रिपरिषद के अनुमोदन से अन्तिम निर्णय लिया जाएगा।