काॅरपोरेट गवर्नेंस क्षेत्र में जब विकास की चर्चा की जाती है और आगे सुशासन (गुड गवर्नेंस) के कारणों को खोजा जाता है, द इंस्टीट्यूट आॅफ कम्पनी सेक्रेटरीज आॅफ इण्डिया (आईसीएसआई) इसी सिलसिले को लेकर आज यहां एक राउण्ड टेबल काॅन्फ्रेन्स का आयोजन किया जिसमें काॅरपोरेट गवर्नेंस की तर्ज पर काॅरपोरेट गवर्नेंस आॅफ द ईयर पर चर्चा की गई। इस काॅन्फ्रेन्स में विश्वभर के काॅरपोरेट जगत, नियामक, पेशेवरों, अकादमिक और शोधकर्ता सदस्यों ने शिरकत की। इन सभी वक्ताओं ने अपने व्यक्तव में वर्तमान अर्थव्यवस्था और सामाजिक परिदृश्य में काॅरपोरेट गवर्नेंस के सामने आ रही चुनौतियों के बारे में वही अपने पुराने विचार शेयर किए।

इस अवसर पर आईसीएसआई की अध्यक्ष कम्पनी सेक्रेटरी ममता बिनानी ने कहा ‘‘ चुनौतियां एक ऐसी प्रणाली बनाती है जो स्थाई अर्थिक विकास, का संवर्धन एवं समर्थन करती है वह भी एक काॅरपोरेट वातावरण के विवेचन के साथ और स्थाईरूप से दीर्घावधि के लिए होता है। अब वक्त का तकाजा है कि उन नैतिक  पेशेवरों का पोषण किया जाए जो संगठन के हित में अपनी श्रेष्ठतम रुचि का प्रदर्शन कर रहे हैं। यह जबकि ऐसा नहीं है कुछ पेशेवर पोषित है और इस बात को बढ़ावा दे रहे हैं कि कम्पनी के सीधा उत्थान स्थाई अर्थिक विकास के साथ किया जा सकता है।‘‘

आईसीएसआई की अध्यक्ष ने इससे आगे कहा कि काॅरपोरेट गवर्नेंस में लिंगानुपात बनाए रखना काफी महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा किसी भी कम्पनी में रहते हुए एक कम्पनी सेक्रेटरी को एक प्रमुख प्रबन्धकीय व्यक्ति (केपीएम) होने के कारण काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभानी पड़ती है इसलिए यह अनिवार्य है कि एक लिंग विविधता वाले बोर्ड रूम की स्थापना की जाए।