लखनऊ: उप राष्ट्रपति मो. हामिद अंसारी ने कहा कि अदालतों को मुकदमों का फैसला सुनाने में देरी नहीं करनी चाहिए। यहां पर बार-बार सुनवाई स्थगित होने से फैसले आने में लम्बा समय लग जाता है। यह भारतीय बीमारी है, पर इसमें अब सुधार की जरूरत है। अगर न्यायाधीश और अधिवक्ता समाज चाह ले तो इन सभी कारणों को दूर किया जा सकता है।
उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी गुरुवार को लखनऊ के विभूतिखण्ड स्थित हाईकोर्ट की नवीन बिल्डिंग में 150वीं वर्षगांठ समारोह के अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि लोगों को सम्बोधित कर थे। इससे पहले उप राष्ट्रपति ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की। उन्होंने इस मौके पर कहा कि कानून का विकास अच्छी और खराब सरकार के बीच अंतर पैदा करता है। इस बारे में पूर्व लॉर्ड चीफ जस्टिस ऑफ इंग्लैण्ड एंड वेल्स लॉडविंघम ने कहा था। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सालों साल मुकदमे चलने के लिए मौखिक तर्क-वितर्क जिम्मेदार है।
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि अमेरिका के उच्चतम न्यायालय में हर पक्ष को मौखिक रूप से अपनी बात कहने के लिए सिर्फ 30 मिनट का ही समय दिया जाता है। लिहाजा ऐसी कोई वजह नहीं हो सकती है जिससे लफ्फाजी से छुटकारा न पाया जा सके। इस समारोह में राज्यपाल राम नाईक, यूपी के शिक्षा मंत्री अहमद हसन और हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूंड़ समेत कई न्यायमूर्ति और अधिकारी मौजूद रहे।
अपने सम्बोधन में उन्होंने कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय देश के सर्वाधिक प्राचीन उच्च न्यायालयों में से एक है। वर्तमान में, यह कार्यभार, न्यायाधीशों की संख्या इत्यादि की दृष्टि से भी सबसे बड़ा न्यायालय है। इस उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ का भी अपना सुदीर्घ और विशिष्ट इतिहास रहा है। उन्होंने इलाहाबाद उच्च न्यायालय को न्याय की शानदार विरासत बताते हुए कहा कि यह उच्च न्यायालय न केवल भारत का अपितु दुनिया का विशालतम् न्याय का मन्दिर है। न्याय एवं विधि के क्षेत्र में इसकी शानदार उपलब्धियों पर देश को गर्व है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि बदलते परिवेश में भूमण्डलीकरण एक अपरिहार्य आवश्यकता है। वर्तमान परिस्थितियों में इसे केवल आर्थिक और उद्योग नीति तक सीमित नहीं किया जा सकता है, अपितु यह सभी क्षेत्रों, जिसमें न्यायिक व्यवस्था के क्षेत्र भी शामिल हैं, तक फैल गया है। अतः जितनी जल्दी हम इसके साथ सामंजस्य स्थापित कर लेंगे, उतना ही यह हम सबके लिए बेहतर होगा और इसका लाभ जनता को मिलेगा। उन्होंने कहा कि लोगों को न्याय दिलाने का दायित्व न्यायाधीशों पर है। उन्होंने उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की रिक्तियों पर चिंता भी जताई।
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