वाशिंगटन: भारत ने अमेरिका द्वारा वीजा शुल्क वृद्धि पर चिंता जताते हुए इसे ‘पक्षपातपूर्ण’ बताया है। इससे सबसे अधिक नुकसान भारतीय आईटी पेशेवरों को हो रहा है।

अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि राजदूत माइकल फ्रोमैन के साथ द्विपक्षीय बैठक में वित्तमंत्री अरुण जेटली ने टोटलाइजेशन करार को भी जल्द पूरा करने पर जोर दिया, जिससे अमेरिका में काम कर रहे भारतीयों को फायदा होगा। वीजा मुद्दे पर वित्तमंत्री ने कहा, ‘भारत एच-1बी और एल वीजा शुल्क में बढ़ोतरी को लेकर चिंतित है। यह पक्षपातपूर्ण है और व्यवहार में इसके निशाने पर इसमें मुख्यरूप से भारतीय आईटी कंपनियां हैं।’

पिछले साल अमेरिकी संसद ने एच-1 बी वीजा और एल-1 वीजा पर 4,500 डॉलर तक का विशेष शुल्क लगा दिया था। यह कदम 9/11 के स्वास्थ्य सेवा कानून तथा बायोमेट्रिक ट्रैकिंग प्रणाली के वित्तपोषण के लिए उठाया गया था। ये वीजा भारतीय आईटी कंपनियों में खासे लोकप्रिय हैं। संसद के नेताओं ने 1,100 अरब डॉलर के व्यय विधेयक पर सहमति देते हुए कुछ श्रेणी के एच-1 बी वीजा पर 4,000 डॉलर और एल-1 वीजा पर 4,500 डॉलर तक का शुल्क लगाने का प्रस्ताव किया था।

वित्त मंत्रालय के एक बयान में जेटली के हवाले से कहा गया है कि भारत चाहता है कि अमेरिका के टोटलाइजेशन करार को जल्द से जल्द पूरा किया जाए। उद्योग के अनुमान के अनुसार भारतीय पेशेवरों ने पिछले दशक के दौरान अमेरिका में सामाजिक सुरक्षा में 25 अरब डॉलर का योगदान किया है, और उन्हें अपने योगदान को वापस पाने का मौका नहीं मिला।