हरिद्वार। द्वारका-शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद ने केदारनाथ में आई बाढ़ को लेकर अजीबो-गरीब बयान दिया है। स्वरुपानंद का मानना है कि केदारनाथ में आई बाढ़ के लिए वहां हनीमून पर जाने वाले कपल्स और पिकनिक पर जाने वाले लोग जिम्मेदार हैं। बता दें कि 2013 में आई भयंकर बाढ़ के चलते पांच हजार से ज्यादा श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी। शंकराचार्य ने दी चेतावनी इतना ही नहीं शंकराचार्य ने चेतावनी भी दी है। उन्होंने कहा कि हिंदूओं के पवित्र स्थानों पर पर्यावरण प्रदूषण एक और आपदा ला सकती है। उन्होंने कहा कि देश के विभिन्न हिस्सों से लोग मजे के लिए, पिकनिक मनाने के लिए और हनीमून के लिए पवित्र देवभूमि (उत्तराखंड) में आते हैं, ये केदारनाथ आपदा के लिए जिम्मेदार हैं। ऐसे ही और भी हादसे होंगे अगर अपवित्र गतिविधियों बंद नहीं की गई। पहले भी दे चुके हैं अजीबो-गरीब बयान इससे पहले शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने महाराष्ट्र के सूखे पर  अजीबो-गरीब बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि महाराष्ट्र और अन्य जगहों पर जो  सूखा पड़ रहा है वो सिर्फ इसलिए है क्योंकि लोग साईं बाबा की पूजा कर रहे  हैं। यह सूखा उसी का देन है। हरिद्वार में शंकराचार्य ने कहा था कि अगर सूखे से बचना है तो तुरंत साईं की पूजा बंद  होनी चाहिए। महाराष्ट्र के आराध्य भगवान गणेश है, इसलिए गणेश की पूजा होनी  चाहिए। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में गणेश का वास है, लेकिन पूजा साईं की  हो रही है। जिस भगवान की पूजा होनी चाहिए, उसका निरादर हो रहा है।  शंकराचार्य ने कहा कि साईं एक फकीर थे और वो अमंगलकारी थे..जो पूजा करने  लायक नहीं हैं और जब उनकी पूजा होती है तब आपदा आती है। शनि की पूजा बंद करने पर रुकेंगे महिलाओं पर अत्याचार शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती यहीं नहीं रुके। उन्होंने महाराष्ट्र के शनि शिंगणापुर में महिलाओं को प्रवेश मिलने पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि जिस तरह  से महिलाओं पर अत्याचार हो रहे हैं वो तब तक नहीं रुकेंगे जब तक महिलाएं 

शनि की पूजा करना बंद नहीं करेंगी। उन्होंने कहा कि शनि भगवान नहीं एक गृह हैं और गृह की शांति होती है पूजा नहीं की जाता। स्वरूपानंद सरस्वती ने  पहले भी शनि शिंगणापुर में महिलाओं को प्रवेश दिए जाने की मांग का विरोध  किया था। इससे पहले भी शंकराचार्य साईं को लेकर विवादित बयान देने  के लिए चर्चा में रहे हैं। वह पहले भी साईं पूजा का मान्यता देने का विरोध  करते रहे हैं। वर्ष 2014 में उन्होंने साईं पूजा का विरोध करने के लिए एक  धर्म संसद का भी आयोजन किया था जहां सर्वसम्मति के साईं पूजा का बहिष्कार  करने का ऐलान किया गया था।