मुंबई:  स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक ने आज पांच नये आई केयर प्रोजेक्ट्स को लाॅन्च किया, ताकि नवप्रवर्तनशीलता लाई जा सके और आंख की देखभाल सेवा की डिलिवरी मजबूत की जा सके। स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक ने वर्ष 2016 से 2019 के बीच जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए कुल 1.6 मिलियन अमेरिकी डाॅलर दान देने का वचन दिया है। ये प्रोजेक्ट्स स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक, इंटरनेशनल एजेंसी फाॅर द प्रिवेंशन आॅफ ब्लाइंडनेस (आईएपीबी) और 15 राज्यों के प्रमुख आई केयर एनजीओ के संसाधनों एवं दक्षता के सहयोग से पूरे किये जायेंगे। स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, सुश्री जरीन दारूवाला ने कहा, ‘‘आंख की देखभाल स्वास्थ सेवा का एक महत्वपूर्ण घटक है। हम दूर किये जा सकने योग्य अंधापन दूर करने के प्रतिबद्ध पैरोकार हैं। स्थाई निवेश एवं नवाचार के जरिए और राष्ट्रीय स्वास्थ्य तंत्रों में ‘सीईंग इज बिलिविंग’ परियोजनाओं को एकीकृत कर, हम भारत के अनेक वंचित समुदायों तक प्रोग्राम के प्रभाव को ले जा रहे हैं।’’ दुनिया भर में पहले से ही 39 मिलियन लोग अंधापन के शिकार हैं और इनमें से 90 प्रतिशत से अधिक विकासशील देशों एवं वंचित शहरी क्षेत्रों में हैं। भारत में, लगभग 15 मिलियन लोग अनुमानतः मोतियाबिंद के अंधेपन के शिकार हैं। मोतियाबिंद के चलते होने वाला अंधापन परिहार्य अंधापन (62.6 प्रतिशत) का सबसे सामान्य रूप है, जिसके बाद अपवर्तक त्रुटि (19.7 प्रतिशत) और ग्लौकोमा (5.8 प्रतिशत) का स्थान आता है। और फिर भी कुल अंधापन के 80 प्रतिशत मामले ऐसे हैं, जिन्हें सही उपचार एवं देखभाल से ठीक किया जा सकता है। ‘सीईंग इज बिलिविंग’ परिहार्य अंधापन एवं दृष्टि दोष दूर करने की स्टैंडर्ड चार्टर्ड की वैश्विक पहल है। भारत, स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक के अंतर्राष्ट्रीय विस्तार का एक महत्वपूर्ण बाजार है। हमें सेवा फाउंडेशन के साथ मिलकर ‘‘स्केल (स्ट्रेंथनिंग कैपेसिटी ऐंड लर्निंग टू इफेक्टिवली डिलिवर क्वालिटी आई केयर)’’ नामक अपने नये 1 मिलियन की पार्टनरशिप की घोषणा करने का गर्व है, जो कि पहचान, प्रशिक्षण एवं कोचिंग, सिस्टम मजबूती एवं मांग के क्षेत्रों की समस्याएं दूर करने के लिए 15 राज्यों में 50 अस्पतालों की क्षमता के निर्माण हेतु तैयार है। इस प्रोजेक्ट को इस प्रकार से डिजाइन किया गया है, ताकि मोतियाबिंद के ईलाज के लिए होने वाली सर्जरी की संख्या बढ़ाई जा सके – मोतियाबिंद भारत में अंधापन का सबसे बड़ा कारण है। परियोजना की तीन वर्षों की अवधि के दौरान, हमारा लक्ष्य 1.18 मिलियन मोतियाबिंद के मामलों की सर्जरी सफलतापूर्वक पूरा करना है। वर्ष 2016 में, भारत में कई नवाचार परियोजनाएं शुरू की जायेंगी। भारत में आंख की देखभाल हेतु सेवा उपलब्ध कराने के तरीके को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करने की संभावना वाले नये विचारों के विकास को बढ़ावा देने हेतु, निम्नलिखित दो श्रेणियों की चार परियोजनाओं को  600,000 अमेरिकी डाॅलर का अनुदान दिया गया हैः आरंभिक प्राथमिक चरण में नवाचार के विकास को समर्थन देना और ऐसे नवाचारों को समर्थन देना जिनकी कुछ आरंभिक टेस्टिंग की जा चुकी है और वे स्केल-अप के लिए स्वयं को तैयार करने की ताक में हैं। विशेषज्ञ संगठनों द्वारा उपलब्ध कराई जाने वाली शोध-आधारित नवाचार परियोजनाएं निम्नलिखित क्षेत्रों में उपयोग में लाई जायेंगीः आॅरोलैब द्वारा मोतियाबिंद के उपचार हेतु किफायती, बेहतरीन तकनीक का विकास; प्लेनआॅप्टिका के साथ मिलकर आॅरोलैब द्वारा नुस्खों को आसान बनाने हेतु आॅन-द-गो तकनीक; डेजी कंसोर्टियम के नेतृत्व में पुस्तकों को पढ़ने हेतु डिजिटल उपकरणों को प्रयोग में लाना और अंत में, लंदन स्कूल आॅफ हाइजिन ऐंड ट्राॅपिकल मेडिसिन एवं पीक विजन फाउंडेशन की सहायता से स्मार्टफोन को नेत्र परीक्षण उपकरण में बदलना। ये परियोजनाएं 12 से 18 महीने की अवधि तक चलेंगी। दृष्टि दोष को दूर करने के लिए समर्पित अनेक परियोजनाओं को साथ लेकर चलने से हमें विजन2020 को हासिल करने में मदद मिलेगी। वर्ष 2003 के बाद से लेकर अब तक, ‘सीईंग इज बिलिविंग’ ने भारत में 12 मिलियन से अधिक लोगों की जिंदगियों को प्रभावित किया है और इस हेतु, इसने 11 राज्यों में 92 विजन सेंटर्स के जरिए गुणवत्तापरक एवं किफायती आई-केयर सुविधाएं प्रदान की है। हमें समाज के 8,500 से अधिक लोगों को प्रशिक्षित किया है और उन्हें आॅप्टोमेट्रिस्ट, विजन तकनीशियन व स्वास्थ्यकर्मी के रूप में नियुक्त किया है। ‘स्केल’ के बैनर तले, 20 नये विजन सेंटर्स स्थापित किये जायेंगे, जिससे हमारे विजन सेंटर की संख्या बढ़कर 111 हो जायेगी।