दीनी कलासेज मै जावनों के बीच इजतेहाद व तकलीद के विषय पर लेकचर का आयोजन

लखनऊ :  मजलिसे ओलमाये हिन्द द्वारा आयोजित जारी साप्ताहिक दीनी कलासेज के दूसरे लेकचर में इज्तेहाद व तकलीद की जरूरत और अखबारियत की हकीकत के विषय पर लेकचर देते हुए मौलाना सैयद नकी असकरी ने कहा कि धर्म को सही तरीके से समझ कर अपनाने पर इसलाम जोर देता है, अन्धी तकलीद इसलाम मै हराम है।धर्म को सही वही समझायेगा जिसने सही तरीके से इसलाम धर्म को समझा होगा और ये काम मूजतहिद करता है। मौलाना ने कहा कि इज्तेहाद व तकलीद का इस समय समस्या बड़ा महत्व समझा जाने लगा है उसकी बड़ी वजह अखबारी विचारधारा का पतन भी है । नोजवान इज्तेहाद के महत्व और तकलीद की जरूरत को समझ रहे हैं। मौलाना ने युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि मुल्ला अमीन उसतरआबादी अखबारी पंथ के संस्थापक हैं। यह लोग अकल को हुज्जत नहीं मानते हैं बल्कि कुरआन के हुज्जत होने का भी इस बहाने इनकार कर देते हैं कि कुरआन को सही ढंग से समझना ओलियए खुदा की खसियत है इसलिए हमारा कर्तव्य है कि केवल हदीसों को देखें और समझें। वह प्रमुख चार दलीलों में केवल अकल को हुज्जत मानते हैं यही कारण है कि ये लोग चारों प्रमुख हदीस की किताबों की हर हदीसे को एकदम सही और कतई सुबूत मानते हैं । ओलम ने बड़ी इल्मी कोषिष और बौद्धिक संघर्ष के बाद उनके विचारों का विनाष किया और अब यह पंथ केवल नारे बाजी तक सीमित है यानी जो अखबारी है वह भी अखबारियत की वास्तविकता और इतिहास से अनभिज्ञ व जाहिल है। 

मौलाना ने आगे अपने प्रवचन मै कहा कि फकीह के फतवों में उसके इल्म की गहराई के साथ कायेनात के अध्ययन का असर भी होता है। जिस विषय के बारे मुजतहिद फतवा देता है उसके पास उससे संबंधित उसकी पूरी जानकारी और कडा अध्ययन होता है ।मौलाना ने जवानों को इजतेहाद का मतलब समझाते हुए कहा कि इजतेहाद का मतलब दीनी मामलों में अंतर्दृष्टि और बसीरत पैदा करना है। दीनी मामलों मैं निर्णय लेने की क्षमता हासिल करना है, लेकिन हमारे यहाॅ दीनी मामलों में अंतर्दृष्टि और बसीरत हासिल करने के दो माघियम है एक निर्धारित यानी मषरू है और दुसरा प्रकार वर्जित और गलत है। इसी तरह तकलीद की भी दो किसमें है, एक निर्धारित यानी मषरू है और दूसरी वर्जित है । मौलाना ने विस्तार के साथ इन दानों प्रकारों को समझाया और शिक्षण के समय युवाओं के सवालों के जवाब भी दिए।

दूसरा लेकचर मौलाना इस्तिफा रजा ने तोहीद षनासी के विषय पर दिया ।मौलाना ने प्रकृति के माध्यम से खुदा के वजूद और खुदा से जवानो की दुरी के कारणों का उल्लेख भी किया। उन आघरों पर बात की जिन आधारों पर आजका युवा वर्ग खुदा से निराश और धर्म से दूर होता जा रहा है ।इस संबंध का तीसरा कलास 17 अप्रैल रविवार को शाम 7:30 बजे कार्यालय मजलिसे ओलमाये हिन्द इमामबाड़ा गुफ्राॅनमआब में आयोजित होगी। 17 अप्रैल के कलास में मौलाना निसार अहमद जेनपूरी युवाओं के बीच लेकचर देंगें।