नई दिल्ली। देश में ‘भारत माता की जय’ नारे को लेकर शुरू हुए विवाद ने ‘दारूल उलूम देवबंद’ के फतवे के बाद एक नए विवाद का रूप ले लिया है। अब यूपी के बागपत की पंचायत ने इसपर प्रतिक्रिया देते हुए फैसला किया है कि इस नारे को नहीं कहने वाले का सामाजिक और आर्थिक बहिष्कार किया जाएगा। इससे पहले बीजेपी के प्रमुख नेताओं की इस मामले पर टिप्पणी सामने आ चुकी थी।

शनिवार को, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने नासिक की एक रैली में कहा कि जो भी ‘भारत माता की जय’ नहीं कहते, उन्हें देश में रहने का हक नहीं है। फडणवीस ने कहा, ‘मैं मुंबई की एक मजार पर गया, सैंकड़ो मुस्लिम मौलवियों ने ‘भारत माता की जय’ कहा, जो भारत के टुकड़े होने की बात करते हैं, वो नाकाम होंगे।’ (पढ़ें पूरी खबर)

इसके बाद मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि ‘भारत माता की जय’ का नारा भावनाओं से जुड़ा है और हर मनुष्य को अधिकार है कि वह मां और मातृभूमि के लिए नारा लगाए। उन्होंने राजकोट एयरपोर्ट पर द्वारका जाते वक्त ये बात कही।

पिछले महीने, बीजेपी के मातृ संगठन आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत ने इस बात की वकालत की थी कि युवाओं को ‘भारत माता की जय’ बोलने की शिक्षा दी जानी चाहिए। भागवत के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए असदुद्दीन ओवैसी ने कहा था कि अगर उनकी गर्दन पर चाकू भी रख दिया जाए तो भी वह ‘भारत माता की जय’ नहीं बोलेंगे।

रविवार को इस मामले में मौलाना खालीद रशीद का बयान भी सामने आया। ‘दारूल उलूम देवबंद’ के फतवे पर रशीद ने कहा है कि इस तरह के फतवों को जारी करने की कोई जरूरत नहीं है और हम इसकी निंदा करते हैं।