नई दिल्ली : हरीश रावत को बुधवार को नैनीताल हाईकोर्ट के डिवीजन बैंच ने बड़ा झटका देते हुए 31 मार्च को विधानसभा में होने वाले शक्ति परीक्षण पर रोक लगा दी है। मामले की अगली सुनवाई अब 6 अप्रैल को होगी। यह फैसला हाईकोर्ट के दो जजों की बैंच ने सुनाया है। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति केएम जोसेफ और न्यायमूर्ति वीके बिष्ट की सदस्यता वाली खंड पीठ ने मंगलवार के एकल न्यायाधीश के निर्देश के खिलाफ दायर केंद्र की याचिका पर यह आदेश जारी किया। गौरतलब है कि इससे पहले नैनीताल हाईकोर्ट की एकल बेंच ने रावत सरकार को 31 मार्च को विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए कहा था। अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने केंद्र की ओर से पेश होते हुए कल के आदेश का सख्त विरोध करते हुए कहा कि अदालतें राष्ट्रपति शासन की घोषणा में दखलंदाजी नहीं कर सकती।

केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रही टीम में शामिल अधिवक्ता नलिन कोहली ने कहा, ‘सहमति आदेश के जरिए माननीय खंड पीठ ने एकल न्यायाधीश के आदेश पर सात अप्रैल तक के लिए रोक लगा दी।’ उन्होंने बताया कि खंड पीठ के समक्ष सुनवाई की अगली तारीख छह अप्रैल है। इससे पहले, विश्वास मत 28 मार्च को साबित किया जाना था लेकिन केंद्र ने राज्य में ‘संवैधानिक तंत्र के नाकाम होने’ का जिक्र करते हुए 27 मार्च को राष्ट्रपति शासन लगा दिया था। निवर्तमान मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इसे उच्च न्यायालय के एकल न्यायाधीश यूसी ध्यानी के समक्ष चुनौती दी जिस पर एकल न्यायाधीश ने 31 मार्च को सदन में शक्ति परीक्षण कराए जाने का आदेश दिया। साथ ही उन्होंने कांग्रेस के अयोग्य ठहराए गए नौ बागी विधायकों को भी मतदान में हिस्सा लेने की इजाजत दे दी थी।