नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) को सहारा समूह की उन संपत्तियों को बेचने का निर्देश दिया है, जिसका टाइटल डीड (सौदा दस्तावेज) सेबी के पास जमा है।

सहारा की ओर से कोर्ट को बताया गया कि उन्होंने 40 हजार करोड़ की 86 संपत्तियों की टाइटल डीड सेबी को सौंप दी है, क्योंकि उन्हें इन संपत्तियों का कोई खरीदार नहीं मिल रहा है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सेबी इनमें से ही संपत्तियां बेचना शुरू करे। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के मुताबिक, सेबी सर्किल रेट से न्यूनतम 90 फीसदी कीमत पर इन संपत्तियों को बेच सकता है और अगर वह इस दर से कम पर बिक्री करना चाहता है, तो उसे इसके लिए कोर्ट की इजाजत लेनी होगी।

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि सहारा की संपत्‍तियों को बेचने के काम में सेबी किसी भी एजेंसी की मदद लेने के लिए स्‍वतंत्र है। सहारा की संपत्तियों की बिक्री की निगरानी सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस बी एन अग्रवाल करेंगे। अब इस मामले की अगली सुनवाई 27 अप्रैल को होगी।

सहारा-सेबी विवाद में सुब्रह राय की ओर से पेश वरिष्‍ठ वकील कपिल सिब्‍बल की दलीलों से सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को नाराज हो गई। दरअसल कपिल सिबल ने कोर्ट में कहा कि सहारा प्रमुख को दो साल से ज्यादा जेल में हो गए हैं, जबकि उनके खिलाफ कोई केस नहीं है और न ही अवमानना की कार्रवाई की गई है। आप भले की रिसीवर नियुक्त कर दीजिए, लेकिन दुनिया में कहीं भी ऐसा नहीं होता कि कोई व्यक्ति बिना केस के जेल में रहे।

इस पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए सिब्‍बल से कहा कि आप अदालत में बहस कीजिये, हमें (अदालत को) लेक्‍चर मत दीजिये। सुप्रीम कोर्ट के मुख्‍य न्‍यायाधीश टीएस ठाकुर ने कहा कि दुनिया में कहीं ऐसा नहीं होता, जब कोई व्यक्ति यह कहे कि उसके पास 1 लाख 87 हजार करोड़ रुपये हैं, लेकिन वह 10 हजार करोड़ रुपये की जमानत राशि नहीं दे पा रहा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसने सहारा को पूरा मौका और मदद की, लेकिन सहारा प्रमुख हर बार यही कहते रहे कि खरीदार नहीं मिल रहे।

इस पर सहारा की ओर से पेश हुए वरिष्‍ठ वकील कपिल सिब्‍बल ने कहा कि उन्होंने 40 हजार करोड रुपये की 86 संपत्ति की टाइटल डीड सेबी को दी है, क्योंकि उन्‍हें कोई खरीदार नहीं मिल रहा है। वे संपत्‍तियों को बेच नहीं पा रहे हैं। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सेबी को आदेश दिया कि वह सहारा द्वारा दी गई 86 संपत्‍तियों को बेचने की प्रक्रिया शुरू करे, जिससे कि वह अपनी रकम की वसूली कर सके।

वहीं, सुब्रत राय सहारा की ओर से सुप्रीम कोर्ट में कहा गया कि वह अपनी संपत्‍तियों में से एक मुंबई स्‍थित एंबी वैली को बेचना नहीं चाहते हैं। इस संपत्‍ति से सहारा प्रमुख सुब्रत राय का भावनात्‍मक जुड़ाव रहा है, वह इसे बेचना नहीं चाहते। इसलिए इसे न बेचा जाए। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सेबी को कहा कि वह उक्‍त संपत्‍ति को छोड़ कर पहले अन्‍य संपत्‍तियों को बेचने की प्रक्रिया करे। फिलहाल इस संपत्‍ति को न बेचा जाए।

गौरतलब है कि सहारा समूह को अपने निवेशकों को 36 हजार करोड़ रुपये की राशि लौटानी है। इस मामले में सहारा समूह के अध्य7 सुब्रत रॉय पिछले करीब दो साल से जेल में हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 10 हजार करोड़ रुपये जमा करके जमानत लेने की शर्त रखी थी, लेकिन सुब्रत रॉय अब तक इस पैसे का भी इंतजाम नहीं कर सके हैं। सेबी का कहना है कि सहारा की मंशा ही नहीं है कि वह निवेशकों का पैसा लौटाए, इसलिए पैसे का इंतजाम नहीं कर रही है। जिसके चलते सेबी ने पिछले साल अगस्‍त महीने में एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की थी।