लखनऊ: उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने उत्तर प्रदेश वित्तीय अधिष्ठानों में जमाकर्ताहित संरक्षण विधेयक, 2016 को राष्ट्रपति के विचारार्थ आरक्षित कर दिया है। विधेयक राज्य विधान सभा से 8 मार्च एवं विधान परिषद द्वारा 9 मार्च को पारित हुआ था तथा 15 मार्च को राज्यपाल की अनुमति हेतु राज्य सरकार द्वारा राजभवन प्रेषित किया गया था।

उत्तर प्रदेश वित्तीय अधिष्ठानों में जमाकर्ताहित संरक्षण विधेयक, 2016 के प्रावधान दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 जो भारत का संविधान की सप्तम अनुसूची की समवर्ती सूची में प्रगणित प्रविष्टि से शासित एक केन्द्रीय अधिनियम है, से असंगति रखते हैं। संविधान के अनुच्छेद 254 एवं 254(2) की अपेक्षानुसार विधेयक पर राष्ट्रपति की अनुमति आवश्यक होती है। अतः राज्यपाल द्वारा उक्त विधेयक राष्ट्रपति के विचारार्थ आरक्षित किया गया है।