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उर्दू इन्कलाब की, हिन्दस्तान की जुबान है: विक्रम राव

गंगोत्री फाउण्डेशन ने ‘उर्दू अदब और लखनऊ शहर’ विषय पर सेमीनार आयोजित किया 

लखनऊ: गंगोत्री फाउण्डेशन लखनऊ द्वारा भाषा एवं भाषा विज्ञान प्रसार कार्यक्रम के अन्तर्गत  आम जन मे उर्दू भाषा एवं साहित्य केे प्रसार व जागरूकता के लिये नेशनल काउन्सिल फाॅॅर प्रमोशन आफ उर्दू लैंग्वेज नई दिल्ली के सहयोग से एक दिवसीय  सेमिनार का आयोजन किया गया जिसका विषय था ‘उर्दू अदब और लखनऊ शहर’। 

कार्यक्रम मे उर्दू भाषा एवं साहित्य पर काम करने वाले लखनऊ शहर की नामचीन हस्तियों नें शिरकत की जिनमे डा0 साबरा हबीब (पूर्व विभागाध्यक्ष लखनऊ विश्वविद्यालय)  , डा0 अब्बास रज़ा नैयर(विभागाध्यक्ष, उर्दू  लखनऊ विश्वविद्यालय) डा0 फख़रे आलम (विभागाध्यक्ष ,उर्दू विभाग  ख्वाज़ा मोइनुददीन चिश्ती उर्दू,अरबी, फारसी विश्वविद्यालय लखनऊ) डा0 सुब्हान शरीफ (एसोसिएट प्रोफेसर उर्दू विभाग ख्वाज़ा मोइनुददीन चिश्ती उर्दू,अरबी, फारसी विश्वविद्यालय लखनऊ) के  विक्रम राव (वरिष्ठ पत्रकार), हसीब सिद्दीकी (वरिष्ठ पत्रकार) डा0 सुधा राव (प्रशासक , के के हास्पिटल) उ0प्र0 राज्य महिला आयोग की पूर्व सहा0 रजिस्ट्रार डा0 राजेन्द्री वर्मा  एवं स्थानीय पार्षद रंजीत सिंह थे।

सेमिनार मे वक्ताओं ने लखनऊ को उर्दू अदब व तहजीब का मरकज बताते हुये लखनऊ की सरजमीन को एक से एक शायर, नज्म, नस्रनिगार की कार्य स्थली बताया जिसमे ख्वाजा हैदर अली, मिर्जा हादी रूसवा, सफी लखनवी, मीर तकी मीर का नाम आज भी सुनहरे लफजो में लिखा जाता है। लखनऊ विश्वविद्यालय उर्दू विभाग के विभागाध्यक्ष डा0 अब्बास रज़ा नैयर ने लखनऊ के बारे मे बोलते हुये कहा कि दुनिया के जाने माने शायर मीर अनीस और मिर्जा दबीर के मर्शीए आज भी लोगो की जुबान की रौनक है। कार्यक्रम मे अपने विचार रखते हुये वरिष्ठ पत्रकार के विक्रम राव ने  उर्दू की खिदमत के लिये गंगोत्री फाउण्डेशन की हौसला अफजाई की , उन्होने कहा कि  बेशक उर्दू दकन या दिल्ली में पैदा हुई हो मगर उसकी परवरिश लखनऊ ने की है। उन्होने कहा कि आजादी के बाद लगभग 20 सालों तक उर्दू को दबाया गया है। लेकिन उर्दू इन्कलाब की जुबान है, यह हिन्दू या मुलमान की नही हिन्दस्तान की जुबान है और हिन्दुस्तान को बेजुबान करना मुमकिन नहीं। 

के के हास्पिटल, लखनऊ की प्रशासक डा0 सुधा राव सेमीनार के मकसद को बताते हुये उर्दू अदब , तहजीब व जबान की हिफाजत की बात की व उर्दू जबान की शिनाख्त  के लिये सब को मिल जुलकर काम करनें  को प्रोत्साहित किया।

गंगोत्री फाउण्डेशन लखनऊ के प्रबन्ध निदेशक डा0 प्रदीप शुक्ल ने उर्दू फरोख्त के लिए नये प्रोग्राम करते रहने का सुझाव दिया तथा स्थानीय पार्षद रंजीत सिंह ने उर्दू फरोख्त के लिये इस प्रकार कि सेमिनार आयोजन की अपील  की। 

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