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दलितों से आरक्षण का अधिकार कोई नहीं छीन सकता: मोदी

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरी तरह स्पष्ट कर दिया कि दलितों के लिए आरक्षण नीति में कोई बदलाव नहीं होगा। इस मुद्दे पर ‘झूठ’ फैलाने का आरोप लगाते हुए उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वियों को भी आड़े हाथ लिया और पुरजोर शब्दों में कहा कि दलितों से उनका यह अधिकार कोई नहीं छीन सकता। प्रधानमंत्री ने संविधान निर्माता भीमराव अम्बेडकर की तुलना अश्वेतों के अधिकारों की लड़ाई लड़ने वाले मार्टिन लूथर किंग से भी की।

यहां अंबेडकर स्मृति व्याख्यान के दौरान मोदी ने कहा, ‘हम जब भी सत्ता में रहे हैं तो दलितों, आदिवासियों के अधिकारियों को कोई नुकसान नहीं हुआ है लेकिन इसके बावजूद लोगों को गुमराह करने के लिए झूठ फैलाया जा रहा है।’ उन्होंने कहा, ‘जब वाजपेयी प्रधानमंत्री बने, एक अभियान चलाया गया कि आरक्षण को समाप्त कर दिया जाएगा। वह दो कार्यकाल तक प्रधानमंत्री रहे लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।’ मोदी ने कहा, ‘बीजेपी ने मध्य प्रदेश, गुजरात, पंजाब और हरियाणा में कई सालों तक राज किया है और आरक्षण नीति पर कभी कोई खरोंच तक नहीं आई। फिर भी झूठा प्रचार किया जा रहा है। जो लोग केवल राजनीति करने में दिलचस्पी रखते हैं, वे ही इससे निकल नहीं पा रहे हैं।’

प्रधानमंत्री ने आरक्षण को दलितों और वंचितों का ऐसा ‘अधिकार’ बताया जिसे कोई छीन नहीं सकता। उन्होंने कहा, ‘जैसा कि मैंने पहले भी कहा है कि यदि आज अंबेडकर भी आ जाएं, तो वह भी आपसे आपका यह अधिकार नहीं छीन सकते। बाबा साहेब के सामने हमारी क्या हस्ती है।’ अंबेडकर नेशनल मैमोरियल की आधारशिला रखते हुए प्रधानमंत्री ने अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों पर निशाना साधा और उन पर इस मुद्दे पर ‘भ्रम और झूठ’ फैलाने का आरोप लगाया। साथ ही कटाक्ष भी किया कि इस प्रकार की बातें जहां ‘उनकी राजनीति को रास आती हैं’ वहीं ऐसी बातें देश के सामाजिक ताने बाने को ‘कमजोर’ करती हैं।

आरक्षण पर प्रधानमंत्री का यह ताजा बयान अगले महीने होने वाले पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, असम, केरल और पुडुचेरी के विधानसभा चुनाव से पूर्व आया है। उन्होंने बार बार यह सवाल उठाया कि इसे करने में ‘60 का समय क्यों लगा?’ और याद दिलाया कि अंबेडकर को हिंदू कोड बिल पर समर्थन के अभाव की जिम्मेदारी लेते हुए बतौर कानून मंत्री जवाहरलाल नेहरू कैबिनेट से इस्तीफा देना पड़ा था। यह बिल एक प्रगतिवादी कदम था जिसका मकसद भारत में हिंदू पर्सनल लॉ में सुधार करना था ताकि महिलाओं को संपत्ति समेत विभिन्न क्षेत्रों में बराबरी का दर्जा दिया जा सके।

प्रधानमंत्री ने अंबेडकर को केवल दलितों का मसीहा बताए जाने को ‘अन्याय’ करार देते हुए कहा कि वह हाशिए पर डाले गए सभी लोगों की आवाज थे । उन्होंने अंबेडकर को ‘विश्व मानव’ बताते हुए उनकी तुलना अश्वेतों के मानवाधिकारों की आवाज बुलंद करने वाले मार्टिन लूथर किंग से की। संसद में उनकी सरकार द्वारा लाए गए जलमार्ग विधेयक को भारत की नौवहन क्षमता पर अम्बेडकर के विचारों से जोड़ते हुए मोदी ने कहा कि पिछले 60 सालों में इस पर कोई काम नहीं किया गया और ‘जब बाबा साहेब के भक्त सत्ता में आते हैं’ तो अंतर साफ दिखाई देता है।

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