नई दिल्ली: देशद्रोह मामले में आरोपी जेएनयू छात्र उमर खालिद और अनिर्बान को पटियाला हाउस कोर्ट ने छह महीने के लिए अंतरिम जमानत दे दी है। दोनों की बीते 23 फरवरी को गिरफ्तारी हुई थी। अदालत ने दोनों को 25 हजार के मुचलके पर जमानत दी है। दोनों को मुचलका राशि अलग-अलग जमा कराने होंगे।

मामले में अपना फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा कि दोनों बिना इजाजत दिल्ली नहीं छोड़ेंगे और जांच अधिकारी के कहने पर जांच में शामिल होंगे। अदालत ने कहा कि दोनों का कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है। लिहाजा, ऐसा नहीं लगता कि वो कानून से भाग जाएंगे। कन्हैया को जमानत दी गई, समानता के आधार पर इनको भी जमानत मिलनी चाहिए।

वहीं, पुलिस ने कहा है कि घटना के दिन के वीडियो को फोरेंसिक जांच के लिए भेजा गया है, जिसकी रिपोर्ट आने में वक्त लगेगा। दोनों आरोपी उच्च शिक्षित हैं, जिन्होंने दिल्ली विवि के प्रीमियर कालेज से ग्रेजुएशन की है। ये जेएनयू से एमफिल और एम.ए और पीएचडी कर रहे हैं। दोनों 5-6 साल से जेएनयू में रह रहे हैं। हालांकि पुलिस ने दोनों पर गंभीर आरोप लगाए हैं।

इससे पहले कोर्ट ने दोनों की जमानत अर्जी पर आज (18 तारीख) तक अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इन्होंने अपनी जमानत याचिका में कहा था कि जांच एजेंसियों को अब तक कोई ठोस सबूत नहीं मिला है। साथ ही कन्हैया को जमानत मिल चुकी है, लिहाजा उन्हें ज़मानत दी जाए।

वहीं, एक खबर के मुताबिक जेएनयू के उच्च स्तरीय जांच पैनल ने देशद्रोह मामले में उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य को वैमनस्यता, जातिगत या क्षेत्रीय भावनाएं भड़काने या छात्रों के बीच कटुता फैलाने का ‘दोषी’ पाया है।

उप महानिरीक्षक (कारागार) तिहाड़ जेल के जरिए अनिर्बान और उमर को भेजे गए कारण बताओ नोटिस में विश्वविद्यालय ने उन्हें चार आरोपों के तहत ‘ दोषी’ माना है।