इलाहाबाद। प्रधान न्यायाधीश टीएस ठाकुर ने आज यहां कहा कि एक संस्था के तौर पर न्यायपालिका विश्वसनीयता के संकट का सामना कर रही है जो उसके खुद के अंदर से एक चुनौती है। उन्होंने न्यायाधीशों से अपने कर्तव्यों के प्रति सचेत रहने को कहा।

काफी संख्या में मामलों के लंबित होने पर चिंता जताए जाने पर न्यायमूर्ति ठाकुर ने कहा कि न्यायाधीशों के अतिरिक्त घंटे बैठने के तैयार होने पर भी मामलों के निपटारे में 

इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 150 वें स्थापना वर्ष पर एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि कभी-कभी न्यायाधीशों को लगता है कि ‘बार’ के कभी-कभी सहयोग नहीं करने के चलते ही मामलों के निपटारे में देर होती है। प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि वह वकीलों को आश्वस्त कर सकते हैं कि यदि बार सहयोग करता है तो न्यायाधीश पुराने मामलों का निपटारा करने के लिए शनिवार को भी बैठने को तैयार हैं, खास तौर पर बरसों से जेल में कैद लोगों के मामलों में।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय के गौरवपूर्ण इतिहास का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि उनके लिए यह बहुत गर्व की बात है कि पंडित मोतीलाल नेहरू, पंडित जवाहरलाल नेहरू, तेज बहादुर सप्रू, कैलाश नाथ काटजू उनके गृह राज्य जम्मू कश्मीर से थे।

उन्होंने कहा कि इस अदालत ने मुश्किल वक्त देखे हैं। इस अदालत ने मुश्किल चुनौतियों का भी सामना किया है लेकिन न्यायाधीश उस वक्त आगे बढ़े हैं। उन्होंने बेखौफ होकर अपने कर्तव्य भी निभाए हैं, लेकिन हम सिर्फ अतीत की उपलब्धियों पर मुग्ध नहीं रह सकते।

उन्होंने कहा कि भविष्य में हमारे समक्ष बड़ी चुनौतियां हैं और हमें उन चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार होने की जरूरत है। न्यायपालिका एक संस्था है, जैसा कि हम बखूबी जानते हैं, यह हमेशा ही लोक निगरानी में रही है और चुनौतियां न सिर्फ अंदर से है बल्कि बाहर से भी हैं। बाहरी चुनौतियां हमें परेशान नहीं करती। हम उनका बखूबी सामना करते हैं लेकिन हमें गौर करना होगा और हमें जिस चीज के बारे में सचेत होने की जरूरत है वह हमारे ही बीच से पेश आने वाली चुनौतियां हैं।