वॉशिंगटन : अमेरिकी राष्ट्रपति पद के चुनाव में विपक्षी रिपब्लिकन पार्टी की ओर से उम्मीदवारी के प्रमुख दावेदार डोनाल्ड ट्रंप ने आज पहली बार माना कि वह अपनी कंपनियों में उच्च कौशल वाले विदेशी कर्मचारियों को नियुक्त करने के लिए अमेरिकी प्रशासन के एच-1बी वीजा कार्यक्रम का लाभ लेते हैं। पर उन्होंने यह भी कहा कि यह सुविधा खत्म होनी चाहिए क्योंकि यह अमेरिकी कर्मचारियों के साथ ‘बड़ा अन्याय’ है। इससे उनके रोजगार के अवसर मारे जाते हैं।

उम्मीदवारी की होड़ में रिपब्लिकन पार्टी के दावेदारों के बीच मियामी में आयोजित आखिरी बहस में सभी चार प्रतिस्पर्धियों ने एच-1बी वीजा प्रणाली की आलोचना की। अमेरिकी कंपनियां विदेशों से उच्च कौशल वाले कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए इस वीजा का उपयोग करती हैं। यह वीजा सूचना प्रौद्योगिकी में निपुण भारतीय कर्मचारियों के बीच लोकप्रिय है। फ्लोरिडा के सीनेटर मार्को रबियो ने एच-1बी की आलोचना करते हुए टाटा और भारत का नाम भी लिया।

ट्रंप ने विदेशी को काम पर लगाने के मामले में एक सवाल के जवाब में कहा, ‘मैं एच-1बी से बहुत अच्छी तरह वाकिफ हूं। यह ऐसी चीज है जिसका मैं खुलकर इस्तेमाल करता हूं। मुझे इसके इस्तेमाल की अनुमति नहीं होनी चहिए। हमें यह सुविधा नहीं होनी चाहिए। यह कर्मचारियों के लिए बहुत खराब है। यह कहना बहुत महत्वपूर्ण है, ठीक है, मैं कारोबारी हूं और मुझे जो करना है, मुझे करना है।’ 

एच-1बी वीजा का सबसे अधिक लाभ उठाने वालों में भारत के सूचना प्रौद्योगिकी पेशेवर और भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी कंपनियां हैं। ट्रंप भूसम्पत्ति के बड़े कारोबारी हैं। उनकी सम्पत्ति कारोबार अमेरिका, कनाडा, तुर्की और कोरिया से लेकर, फिलीपींस, उरूग्वे से लेकर भारत तक में फैली है।