नई दिल्ली: कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) से पैसे की निकासी के समय टैक्स लगाने के प्रस्ताव पर मचे घमासान के बाद मोदी सरकार ने अब अपने फैसले को पूरी तरह रोल बैक कर लिया है। इस फैसले के बाद सभी वर्ग के कर्मचारियों के लिए यह राहत भरी खबर है। केंद्र सरकार ने ईपीएफ के ब्‍याज पर टैक्स लगाने के फैसले को पूरी तरह वापस ले लिया है। ईपीएफ टैक्स के मामले में विपक्ष और कर्मचारी संगठनों के विरोध के बीच मंगलवार को वित्तमंत्री अरुण जेटली ने संसद में बयान देकर आम लोगों की बचत पर तस्वीर आज साफ कर दी।

बजट में ईपीएफ संबंधी प्रस्ताव को लेकर विभिन्न वर्गो की आलोचनाओं के बीच वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मंगलवार को कर्मचारी भविष्य निधि से राशि निकालने पर कर लगाने के विवादास्पद प्रस्ताव को वापस लेने की घोषणा की। जेटली ने 2016-17 के बजट प्रस्ताव में एक अप्रैल 2016 के बाद कर्मचारी भविष्य निधि की कुल राशि के 60 प्रतिशत निकालने पर कर लगाने की बात कही थी। इस प्रस्ताव की विभिन्न कर्मचारी संगठनों एवं राजनीतिक दलों ने आलोचना की थी।

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज लोकसभा में स्वत: संज्ञान लेते हुए दिये अपने बयान में कहा कि हमें मिले कई ज्ञापनों के मद्देनजर सरकार इस प्रस्ताव की समग्र समीक्षा करना चाहती है और इसलिए इस प्रस्ताव को वापस लेती है। उन्होंने हालांकि कहा कि राष्ट्रीय पेंशन योजना से जुड़े लोगों को राशि निकालने के समय 40 प्रतिशत की छूट बनी रहेगी। अपने बजट प्रस्ताव में जेटली ने प्रस्ताव किया था कि ईपीएफ की 40 प्रतिशत राशि निकालना कर मुक्त होगा और शेष 60 राशि भी इसी श्रेणी में आयेगी अगर उसे पेंशन योजना में निवेश किया जाता है। बजट में इस प्रस्ताव की विभिन्न राजनीतिक दलों और कर्मचारी संघों ने आलोचना की थी और कहा था कि यह कर्मचारियों को पेंशन योजना में निवेश करने के लिए मजबूर करने वाली बात है।