सहाय रिपोर्ट में अखिलेश सरकार को क्लीन चिट

उत्तर प्रदेश विधान सभा के इतिहास में शायद यह पहला मौका है जब रविवार को सदन की बैठक हुई और इसमें कई महत्वपूर्ण दस्तावेज पेश किये गये। सदन में समाजवादी पार्टी सरकार ने कई महत्वपूर्ण दस्तावेज रखे। इसमें सहाय रिपोर्ट भी रखी गयी जिसने 2013 में मुजफ्फनगर दंगों के लिए अखिलेश सरकार को न सिर्फ क्लीन चिट दी बल्कि भाजपा और बसपा नेताओं को दोषी ठहराए जाने के साथ इस मामले से निपटने के लिए सरकार के कदम की तारीफ भी हुई।

सदन में इसके अलावा नियंत्रण एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की चार रिपोर्ट तथा अलीगढ़ के टप्पल में किसानों पर हुई फायरिंग की जांच रिपोर्ट भी रखी गई। विधान सभा के प्रमुख सचिव प्रदीप कुमार दुबे ने बताया कि कैग द्वारा 31 मार्च 2015 को सौपी चार रिपोर्ट, मुजफ्फनगर में हुए वर्ष 2013 में हुए दंगों तथा अलीगढ के टप्पल हुए फायरिंग की रिपोर्ट सदन में रखे गये।

मुजफ्फरनगर में 2013 में हुए दंगों के सिलसिले में जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ नेताओं ने प्रदेश में खूनी संघर्ष कराने के उद्देश्य से इसे यू ट्यूब में वायरल किया। इस मामले में भाजपा विधायक संगीत सोम को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत पार्टी के दूसरे विधायक सुरेश राणा के साथ बंद किया गया था लेकिन उन्होंने इसे पक्षपातपूर्ण करार देते हुए जांच पर सवाल उठाये थे। उन्होंने आरोप लगाया कि यह सब सपा के इशारे पर किया गया है। उन्होंने कहा कि न्यायिक जांच आयोग ने दंगों के मामले में उनका बयान दर्ज नही किया यह सब सत्तारूढ़ पार्टी को बचाने के लिये किया गया है।

गौरतलब है कि मुजफ्फनगर दंगों की जांच के लिये एक सदस्यीय जांच आयोग नौ सितम्बर 2013 को गठित किया गया था। मुजफ्फनगर  में 13 दिन तक दंगे होते रहे। जांच आयोग को अपनी रिपोर्ट सौपने में दो साल का समय लगा। दंगों में 68 लोग मारे गये थे तथा 50 हजार लोगों को शरणार्थी शिविरों में रहना पड़ा था। न्यायिक जांच आयोग ने इस मामले में 377 लोगों से पूछताछ की जिसमें 100 से अधिक वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे।