20 मई 1993 को लाॅन्च की गई, यूटीआई मास्टर ग्रोथ यूनिट स्कीम कुछ परिवर्तनों के साथ 20 मई, 2009 को यूटीआई टाॅप 100 बन गई। हालांकि, यह फंड अधिकांशतः बड़ी पूंजी वाले इन्वेस्टमेंट्स में निवेश करता है, फिर भी यह मझोली पूंजी और छोटी पूंजी वाले इक्विटी उपकरणों को नजरंदाज नहीं करता है। 75 प्रतिशत राशि बड़ी पूंजी वाले उपकरणों में निवेशित है, 20 प्रतिशत मझोले-पूंजी व 5 प्रतिशत छोटी पूंजी वाले उपकरणों में निवेशित है।

यूटीआई टाॅप 100 फंड बाजार पूंजीकरण की दृष्टि से शीर्ष 100 स्टाॅक्स में प्रमुख रूप से निवेश करता है, जबकि शेष हिस्सा छोटी व मझोली पूंजी वाले स्टाॅक्स में निवेश किया जाता है। दीर्घकालिक रूप से बेंचमार्क से बढ़कर प्रदर्शन करने के लिए, यह फंड सक्रियतापूर्वक ओवरवेट या अंडरवेट दांव लगाता है। इस स्कीम की फंड मैनेजर सुश्री स्वाति कुलकर्णी हैं।

यदि हम पिछले एक वर्ष के निवेश के पैटर्न का अध्ययन करें तो पायेंगे कि काफी निवेशकों ने मिड-कैप व मल्टी-कैप फंड्स में निवेश किया है। इन निवेशों ने अच्छा रिटर्न भी दिया है। हालांकि, मूल्यांकन बड़ी पूंजी के पक्ष में हुए हैं, इसलिए निवेशक बड़ी पूंजी की ओर उन्मुख फंड्स जैसे-यूटीआई टाॅप 100 फंड में निवेश कर सकते हैं।     

अर्थव्यवस्था में धीमी रिकवरी के चलते, इस फंड ने साइक्लिकल सेक्टर जैसे-औद्योगिक विनिर्माण, सीमेंट व विनिर्माण में अधिक निवेश किया है। हालांकि, इसने ऊर्जा, धातु व उपभोक्ता वस्तुएं जैसे क्षेत्रों में बेंचमार्क से कम निवेश किया है। आईटी और फार्मा के प्रति फंड की उदासीन स्थिति रक्षात्मक प्रतीत होती है।

सुश्री स्वाति कुलकर्णी अपने प्रबंधन कौशल के चलते फंड मैनेजरों के बीच एक सम्मानीय नाम है। बड़ी पूंजी श्रेणी में, इसे एक ऐसे फंड के रूप में जाना जाता है जो औसत से कम जोखिम लेकर औसत से अधिक रिटर्न प्रदान करता है। यह फंड जोखिम और रिटर्न की दर के बीच संतुलन रखता है और इसलिए, सिप व बड़े इन्वेस्टमेंट्स में निवेश की सलाह है।  a