अधिवक्ता भी ‘आफीसर ऑफ दि कोर्ट ‘ हैं, न्याय के प्रति उनकी भी जिम्मेदारी है

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में वकीलों पर लाठीचार्ज और उपद्रव के मामले की सुनवाई कर रही सात जजों की पीठ ने आज राज्य सरकार को तो आड़े हाथों लिया ही, अधिवक्ताओं को भी आइना दिखाया। पीठ ने स्पष्ट तौर पर कहा कि अधिवक्ताओं को हड़ताल का अधिकार नहीं है। वादकारियों के हित में कोर्ट के दरवाजे चौबीसों घंटे खुले रहते हैं और अधिवक्ता भी ‘आफीसर ऑफ दि कोर्ट ‘ हैं। न्याय के प्रति उनकी भी जिम्मेदारी है।

पीठ ने दोपहर बाद सुनवाई शुरू की। पीठ में मुख्य न्यायाधीश डा. डीवाई चंद्रचूड, न्यायमूर्ति राकेश तिवारी, न्यायमूर्ति वीके शुक्ल, न्यायमूर्ति अरुण टंडन, न्यायमूर्ति तरुण अग्रवाल, न्यायमूर्ति दिलीप गुप्ता एवं न्यायमूर्ति एपी साही हैं। खुद मुख्य न्यायाधीश डा. डीवाइ चंद्रचूड ने कई मसलों को गंभीरता से उठाया। उन्होंने कहा कि हमें अधिवक्ताओं की गरिमा का ध्यान रखना है पर यह कतई स्वीकार नहीं किया जा सकता कि काले कोट पहने हुए अधिवक्ता सड़क पर उपद्रव करते, तोडफ़ोड़ करते और गाडिय़ां जलाते नजर आएं। सभी नागरिकों को शांतिपूर्ण आंदोलन का अधिकार है लेकिन काला कोट पहनकर यदि कोई शस्त्र लिए नजर आता है तो इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती। अधिवक्ता समुदाय में सिर्फ कुछ ही ‘ब्लैक शीप’ हैं जो पूरी न्यायपालिका की छवि खराब कर रहे हैं। ऐसी ‘ब्लैक शीप’ पहचानी जाएंगी। 

मुख्य न्यायाधीश का कहना था कि सात जजों की यह वृहदपीठ यही कोशिश कर रही है कि जो छवि खराब हुई, उसे साफ-सुथरा कैसे बनाया जाए। हम भी जज बनने से पहले वकील रहे हैं और कुछ लोगों के आचरण की वजह से इस मर्यादित पेशे पर धब्बा लगना उचित नहीं। इससे पहले अवध बार एसोसिएशन के महासचिव आरडी साही ने लखनऊ के अधिवक्ताओं का पक्ष रखा जबकि महाधिवक्ता विजय बहादुर सिंह ने सरकार का।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लखनऊ में वकीलों पर पुलिस लाठी चार्ज व बवाल की न्यायिक जांच की अवध बार एसोसिएशन की मांग पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है। पीठ के समक्ष महाधिवक्ता विजय बहादुर सिंह ने प्रमुख सचिव, गृह की रिपोर्ट पेश की और बताया कि घटना के जिम्मेदार लोगों की पहचान कर ली गयी है। लखनऊ खंडपीठ में 11 फरवरी से चल रही वकीलों की हड़ताल को हाई कोर्ट ने अवैध करार देते हुए उन्हें शुक्रवार 19 फरवरी से काम पर वापस लौटने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने सभी सरकारी वकीलों को कोर्ट का सहयोग करने का आदेश देते हुए कहा है कि यदि कोई व्यक्ति किसी वकील, वादकारी या सरकारी वकील को कोर्ट में जाने से रोकेगा तो यह कोर्ट की अवमानना होगी। न्यायिक जांच की मांग पर महाधिवक्ता ने कोर्ट के आदेश का पालन करने का आश्वासन दिया किन्तु कोर्ट ने कहा कि पहले राज्य सरकार अपना रुख स्पष्ट करे। कोर्ट ने अवध बार के पूर्व महासचिव विशाल दीक्षित को भी 23 फरवरी को हलफनामा पेश करने की छूट दी है। ध्यान रहे, कोर्ट ने रिवाल्वर दिखाने की खबर पर दीक्षित के प्रदेश की किसी भी अदालत या अधिकरण में वकालत करने पर रोक लगा रखी है।