लखनऊ: पिछड़ा समाज महासभा ने समाजवादी सरकार पर यह आरोप लगाया है कि पहले की तरह इस बजट में मुसलमानों को फिर लालीपॉप दिखाने की कोशिश की गई है | 2012 में किए गए वादे मुसलमानों को 20 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने सच्चर कमेटी और रंगनाथ मिश्र आयोग की रिपोर्ट लागू किए जाने मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में शैक्षणिक संस्थान खोले जाने आतंकवाद के नाम पर बंद निर्दोष मुसलमानों को छोड़े जाने और मुआवजा दिए जानेए मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में उर्दू माध्यम स्कूल खोले जाने मदरसों में तकनीकी शिक्षा दिए जाने, मुस्लिमों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सुरक्षाबलों में विशेष भर्ती किए जानेए कब्रिस्तान की चहारदीवारी किए जाने दरगाहों का विकास, वक्फ बोर्ड से अवैध कब्जों को हटानेए मानक पूरा करने वाले स्कूलों को विश्वविद्यालय की मंजूरी दिए जाने जैसे वादे समाजवादी पार्टी ने किए थे। ये वादे कितने पूरे हुए यह जग ज़ाहिर है।

यह जानकारी आज यहां जारी एक संयुक्त बयान में पिछड़ा समाज महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एहसानुल हक मलिक  व राष्ट्रीय महासचिव शिव नारायण कुशवाहा ने दियाए उन्होंने कहा कि कब्रिस्तान की चहारदीवारी और दुसरे कामों के लिए जो बजट रखे गए थे उनका काम न होने  की वजह से या तो बजट वापस गया है या फिर उसी बजट को इस बजट में जोड़ दिया गया है नेताओं  के अनुसार जहां तक मुस्लिम छात्रवृत्ति का मामला है वह सबसे बाद में दिया जाता है जिन छात्रों को  नहीं मिल पाता है उन्हें अगले साल भी छात्रवृत्ति से वंचित होना पड़ता है, नेताओं ने यह भी बताया कि प्रोफेशनल कोर्स में मुसलमानों के साथ भेद भाव बढ़ता जाता है कि मुस्लिम बच्चे व्यावसायिक पाठ्यक्रम में आगे नहीं बढ़ पाते और यही कारण है कि मुस्लिम बच्चे व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में सबसे अधिक पिछड़े हुए हैं, नेताओं ने यह भी बताया कि हर साल केंद्रीय एवं राज्य सरकारें बजट में बढ़ चढ़ के दिखाती हैं लेकिन वास्तव में मुसलमानों की हालत दिन ब दिन बद बदतर होती जा रही है। साथ ही उनके साथ हर स्तर पर भेदभाव बरता जाता है अन्याय और अत्याचार का भी शिकार होना पड़ता हेण्लगातार  हो रहे दंगों में सबसे ज्यादा नुकसान इन्हें ही उठाना पड़ता  है।