लखनऊ। प्रदेश के 24 हजार डिप्लोमा इंजीनियर्स सरकार और शासन की उपेक्षा से नाराज है। दो सूत्रीय मांगों की प्रतिपूर्ति न होने से नाराज डिप्लोेमा इंजीनियर्स महासंघ के आहवान पर 18 जनवरी 2016 से अब तक जिसमें 18 से 28 जनवरी तक गेट मीटिंग तथा 4 से 5 फरवरी तक सभी जनपदों में धरने के माध्यम से मुख्यमंत्री का  जिलाधिकारी के माध्यम से ज्ञापन प्रेषित किया गया। इस तरह  गांधी वादी तरीके से आन्दोलन के बाद भी सरकार का सकारात्मक रूख नजर नही आया है। इसे लेकर महासंघ की    उच्चधिकार सभा में  बैठक कर अब आन्दोलन को वृहद रूप दे दिया है। महासंघ की उच्चाधिकार सभा ने फैसला लिया है कि 15 से 17 फरवरी तक राजधानी में क्रमिक अनशन कर सरकार का ध्यानाकर्षण करते हुए एक मौका और दिया जाएगा अन्यथा अनशन के अंतिम दिन ही अनिश्चित कालीन महाहड़ताल की घोषणा कर दी जाएगी। 

यह जानकारी आज पत्रकारों से बातचीत में डिप्लोमा इंजीनियर्स महासंघ के अध्यक्ष इं. एस.के. पाण्डेय और महासचिव इं. सुधीर पंवार ने संयुक्त रूप से दी। उन्होंने बताया कि डिप्लोमा इंजीनियर्स की मांगों को लेकर मुख्य सचिव उ.प्र. शासन द्वारा गठित उच्च स्तरीय समिति की सुस्पष्ट संस्तुति के बावजूद आदेश जारी नही किए गए है। इस बात को लेकर कई बार मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव स्तर पर पत्राचार भी किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि प्रदेश के डिप्लोमा इंजीनियर्स की समस्याओं के निस्तारण के लिए मुख्य सचिव के आदेश पर 23 मार्च 15 को प्रमुख सचिव वित्त की अध्यक्षता में समिति का गठन किया गया था।                                                         इसी तरह प्रमुख सचिव लोक निर्माण की अध्यक्षता में 23 मार्च 15 को बैठक के उपरान्त जो कार्यवृत्ति जारी की गई उसमें प्रदेश के जूनियर इंजीनियर्स के साथ हो रहे भेदभाव को स्वीकार करते हुए अभियंत्रण विभाग की संरचना और जूनियर इंजीनियर्स की प्रोन्नति में भीषण ठहराव को दृष्टिगत रखते हुए सहायक अभियंता को स्वीकृत ग्रेड पे रूपये 5400 से ठीक नीचे का ग्रेड वेतन रूपये 4800प्रदान करने की न्योयोचित सहमति दी गई लेकिन लगभग एक वर्ष बीत जाने के बाद भी आदेश जारी नही किया गया। उन्होंने प्रमुख सचिव लोक निर्माण विभाग की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय समिति की संस्तुति का हवाला देते हुए कहा कि जूनियर इंजीनियर्स के वेतनमान की विसंगति को दूर कर प्रारम्भिक वेतनमान पीबी 2 वेतन बैण्ड 9300रूपये, 34800 वेतन ग्रेड रूपये 4800 प्रदान करते हुए इस संवर्ग को राजपत्रित घोषित किया जाए। जूनियर इंजीनियर्स को सेवा प्राविधानित अवधि 07 वर्ष, 14 वर्ष और 20 वर्ष की सेवा क्रमशः सहायक अभियंता,अधिशासी अभियंता व अधीक्षण अभियंता पदों पर भौतिक रूप से 100 प्रतिशत तीन पदोन्नतियाॅ प्रदान की जाए। ऐसा न होने की दशा में पदोन्नति में ठहराव को दृष्टिगत रखते हुए 7,14 और 20 वर्ष की निरन्तर सेवा पर तीन पदोन्नति वेतनमान दिये जाए। इसके अलावा राजकीय निगम,निकाय, प्राधिकरण आदि के जूनियर इंजीनियर्स को प्रमुख सचिव वित्त की अध्यक्षता वाली समिति की संस्तुति के आधार पर वाहन अनुरक्षण भत्ते के रूप में तीस लीटर पेट्रोल के मूल्य का भूगतान किया जाए। जूनियर इंजीनियर्स से सहायक अभियंता के पद पर निर्धारित प्रोन्नत कोटा के समान प्रोन्नत सहायक अभियंताओं को अधिशासी अभियंता पद एवं अन्य पदो पर पदोन्नति कोटा प्रदान किया जाए। निगमों में कराये जाने कार्यो के विरूद्ध देय सेन्टेज का भुगतान नहीं किये जाने से कार्मिकों का वेतन भत्ता प्रभावित होता है। सेन्टेज का भुगतान कराया जाय अन्यथा अन्य प्रदेशों की भाॅति कार्मिकों के वेतन भत्ते का भुगतान राजकीय कोष से किया जाय। उन्होंने यह भी बताया कि इस तरह 14 सूत्रीय मांगों को लेकर डिप्लोमा इंजीनियर्स महासंघ लगातार मुख्यमंत्री स्तर पर वार्ता की मांग कर रहा हैं तथा तमाम प्रतिकूल परिस्थितियों में भी 24 घन्टे की सेवाएं देते हुए शासन और सरकार की महात्वकांक्षी योजनाओं को धरातल पर उतारने का कार्य यही संवर्ग करता है। अनेकों संवर्ग जिनको वेतनमान जू.ई. से कम या बराबर या उसमें वृद्धि करते हुए उन्हें वेतनमान प्रदान किया गया लेकिन जूनियर इंजीनियर्स  संवर्ग की लगातार उपेक्षा की जा रही है इससे संवर्ग में नाराजगी है। लेकिन सरकार का सकारात्मक रूख न मिलने के कारण महासंघ के पास हड़ताल के अलावा कोई विकल्प नही बचा है।