नई दिल्‍ली। उर्दू के मशहूर शायर निदा फाजली का आज दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वह 78 साल के थे। उनका जन्‍म 12 अक्‍टबूर 1938 को हुआ था।  बचपन से ही शायरी में हाथ आजमाने वाले निदा के पिता भी शायर थे। उनका बचपन ग्वालियर में गुजारा जहां उन्‍होंने तालीम हासिल की।

निदा फाजली अपनी गजलों और शायरी के लिए पहचाने जाते थे। उन्‍होंने साहित्‍य के साथ ही बॉलीवुड में भी बड़ा योगदान दिया है। उन्‍हें साहित्‍य अकादमी पुरस्‍कार के साथ ही पद्मश्री से भी सम्‍मानित किया जा चुका है।

फाजली ने उर्दू शायरी के अलावा कई फिल्‍मों के लिए भी गाने लिखे। उनके फिल्‍मी सफर को तब बड़ा मुकाम मिला जब उन्‍हें कमाल अमरोही की रजिया सुल्‍तान के लिए गाने लिखने को कहा गया। इसके साथ ही फिल्‍म सरफरोश में जगजीत सिंह द्वारा गाई गई गजल ‘होश वालों को खबर क्‍या..’ काफी मशहूर हुआ था। उनकी लिखी गजल ‘कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता’ (आहिस्ता-आहिस्ता) आज भी हर किसी के जेहन में बसी हुई है।

लता मंगेशकर ने निदा फाजली के निधन पर दुख जताते हुए इसे फिल्म जगत का बड़ा नुकसान करार दिया। लता मंगेशकर ने कहा कि वह बहुत अच्छे राइटर थे। उन्होंने कई सुंदर गीत लिखे हैं, हमारी फिल्म इंडस्ट्री का नुकसान हुआ है। हमारी मुलाकात होती थी तो वो बहुत अच्छी तरह से बात करना, शायरी पर बात होती थी, जो गाना लिखा हो, उस पर बात करते थे।

वहीं शायर नवाज देवबंदी ने कहा कि निदा फाजली का निधन लिटरेचर का नुकसान है, शायरी का नुकसान है। उनके दोहे भी बहुत मशहूर हैं। बड़ा नुकसान है ऊर्दू अदब और फिल्मी दुनिया का।