लखनऊ  : मजलिसे उलमाये हिन्द के महासचिव मौलाना कल्बे जवाद नकवी ने अपने बयान में कहा कि जुल्म सबसे बड़ा पाप है और मजलूम की मदद करना सबसे बड़ी इबादत है ।पेगम्बर ए इस्लाम ने कहा है कि कोई भी व्यक्ति अगर मदद के लिए पुकारे और मुसलमान मदद न करे तो वह मुसलमान नही हो सकता।इसकी मतलब यह है कि मजलुम की मदद करना सबसे बड़ी इबादत है । जालिम को जुल्म से रोक सकते हो तो रोकना अनिवार्य है अगर रोक नहीं सकते हो तो उसका विरोध करना वाजिब है, नहीं तो तुम्हारा हश्र भी जालिम के साथ होगा। मौलाना ने कहा कि हदीसों में आया कि जुल्म ना करना और खास कर उस व्यक्ति पर कभी अत्याचार मत करना जिसका कोई मददगार न हो क्योंकि जिसका कोई मददगार नहीं होता अल्लाह उसका मददगार होता है । जालिम की हिम्मत बढाना भी जुल्म है क्योंकि उसका हश्र भी वही होता है जो जालिम का होगा।मौलाना ने कहा कि हाकिम की जिम्मेदारी होती है कि वह अत्याचार को रोके ,उसका कर्तव्य यह है कि न ही जुल्म करे और न किसी को अत्याचार करने दे मगर आज मुस्लिम शासकों के सामने गर्दनें काटी जा रही हैं, कमजोरों पर जुल्म किया जा रहा ह,ै बेगुनाहों का कत्ल किया जाराहा है और कलेजे चाक किए जा रहे हैं मगर सब मुसलमान शासक तमाशा देख रहे है। ये लोग भी जालिम के सहायक हैं। अल्लाह उन्हें ढील दे रहा है मगर उनकी अपमानजनक हार निश्चित है।

मौलाना कल्बे जवाद ने मौलाना जुनैद अषरफ और मौलाना सईद उर्र रहमान आजमी के बयान का समर्थन किया ।मौलाना जुनैद अशरफ ने सिरिया मै मैजनाबे जैनब के रौजे के पास हुए हमले की निंदा की थी और ऐसे विस्फोटों और आत्मघाती हमलों को इस्लाम विरोद्वी बताया था। मौलाना कल्बे जव्वाद नकवी ने मौलाना सईद उर्र रहमा आजमी नदवी के लेख का समर्थन किया जो अमेरिका विरोधी था और तथ्यों का वर्णन करता है। मौलाना ने कहा कि उनका लेख तथ्यों का वर्णन करता है, लेकिन आश्चर्यजनक भी है। उन्होंने लिखा है कि अमेरिका में जब सैनिकों को प्रशिक्षण संस्थान  प्रशिक्षण मै दिया जाता है तो मक्का और मदीना के मॉडल पर उन्से फायरिंग कराई जाती है जिसके बारे मै हमरे कई बार बयान किया है मगर कई हकीकतें उनके कलम से रह गई हैं। वह फौजी जिन्हें काबा और मदीना के मॉडल पर गोलीबारी द्वारा प्रशिक्षण संस्थान मै प्रशिक्षण दिया गया है वही सैनिक मक्का और मदीना में सुरक्षा के लिए तैनात हैं , इस्राएल जिसके मानचित्र में मक्का, मदीना, कर्बला और नजफ जैसे पवित्र स्थानों है उसके साथ सऊदी अरब की गुप्त बैठक हो रहे हैं जिसमे एक बेढक लखनऊ मै भी हुयी है इसकी निंदा भी जरूर होनी चाहिए ,आखिर पवित्र स्थानों के दुश्मनों के साथ यह बैठकें क्यों हो रही हैं। अब मुस्लिम उलमा को इसराइल और सऊदी अरब के अपराध के खिलाफ भी लिखना चाहिए ताकि उनकी हकीकत सामने आ सके।