भारत की आधाभूत कहानी लम्बे समय से केवल विदेशी संस्थागत फण्ड्स पर टिकी है, और अच्छे निवेश पर दांव की ओर इसकी निगाहें है ताकि इसे शीघ्र ही रिटर्न प्राप्त हो सके। यह मौका है शेयरों के मोलभाव तलाश करने का, क्यों कि भारतीय अर्थ चक्र में एक साल के भीतर सुधार आने की संभावना नजर आ रही है। सीमेन्ट, आॅटोमोबाइल्स तथा औद्योगिक निर्माण कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जिनमें काफी सुधार आने की संभावना है। जबकि मिडकेप क्षेत्र में कोई सामान्य निराशावाद नजर नहीं आता, जो कि मौजूद समय में सबसे नीचे पिटी हुई अवस्था में है, सचेत रहें क्योंकि अधिकांश मिडकैप का आयात की दृष्टि से वैश्विक जुड़ाव है और उनके कारोबारी माॅडल के लचीलेपन के चलते आने वाले समय में उनके परीक्षण की जरूरत है। ऐसे मिडकैप जो भारत पर केन्द्रित हैं वे अपेक्षाकृत सुरक्षित साबित होंगे।

पोर्टफोलियो चेक करने का समय: खरीदारी के अवसर

निश्चित तौर पर यह समय मोल भाव में तलाश करने का है। कुछ समय के लिए हमारी धारणा यह थी कि आर्थिक चक्र और वसूली जो कि अधिक या कम दिखाई दे रही है और भारत में जिनका अगले साल या आगे कोई परिवर्तन दिखाई नहीं देता। वैश्विक कारक भारत कोे प्रभावित कर सकते हैं क्योंकि अभी विदेशी संस्थागत निवेश का प्रवाह अधिक है। हम विदेशी संस्थागत निवेश पर आधारित हैं परन्तु साथ ही कहा जाता है कि भारतीय इतिहास कभी नहीं बदलता। इसलिए यह निश्चित समय है जब मैं यह कह सकता हूं की मोल भाव की तलाश का इससे बढि़या कोई और अवसर नहीं है।

ऐसे क्षेत्र जिन पर विश्वास हो

जहां तक रिकवरी का प्रश्न है, सच्चाई यह है कि ऐसे क्षेत्रों में ही निवेश उचित होगा जिन पर विश्वास किया जा सके, इनमें ऐसे उद्योग जिन्होने केपेक्स सेटअप किया हो चाहे वह सीमेंट ही हो निवेश किया जा सकता है। ग्राहक केन्द्रित चक्रीय रिकवरी आॅटो क्षेत्र में भी है, कुछ हद तक वाणिज्यक वाहनों के साथ ही कार, तथा औद्योगिक निर्माण को लिया जा सकता है। एक पहलू यह भी है कि मिडकैप के बारे में एक बात यह भी ध्यान में रखी जानी चाहिए इन मिडकैप्स का महत्वपूर्ण ग्लोबल लिंकेज है और यदि वे निर्यातक हैं।  इन सब बातों को ध्यान मे रखना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि उस बिजनेस माॅडल में कितना लचीलापन है और आने वाले वर्षों में उसके वैश्विक हालात क्या रहेंगे, लेकिन यदि कोई भारत केन्द्रित कम्पनी है तो अन्य के मुकाबले यह अधिक सुरक्षित रहेगी।

मिडकैप और विशाल बाजार

कई लोगों ने 2015 में मिडकैप से अच्छा खासा धन जमा किया और हम देखें तो विगत एक पखवाडे में इसमें काफी तेज गति देखी गई। लेकिन यह शेयर विशिष्ट की कहानी है और यदि मल्टीपल जस्टीफाई को देखें तो कारोबारी स्तर पर क्या चल रहा है आय कितनी है पर भी ध्यान देना होगा तब कहीं जाकर कोई चिंता वाली बात नहीं रहेगी। दूसरी तरफ तरलता के कार्य और निवेशकों के समूह के फ्लोटिंग मैनेजमेंट को भी देखना होगा कि इस बारे में भी कुछ चिंता का विषय है।

संस्थागत निवेश प्रवाह

कुछ संस्थागत निवेशों में मोल भाव की तलाश भी जरूरी है और भारत में मिड टर्म पर्सपेक्टिव की एक आकर्षक दास्तान है। इस दास्तां को बुरा नहीं कहा जा सकता क्योंकि गत वर्ष और विगत कुछ महीनों में संभवतः इसमें बेहतरी नजर आ रही है और अब भारतीय दास्तान कुछ मजबूती के साथ उभरती नजर आ रही है।

यहां प्रलेखित वक्तव्य ललित नाम्बियार वाइस प्रेसिडेंट फण्ड मैनेजर यूटीआई एमएफ के अपने निजी हैं।