तीन दिवसीय ‘पीएसीएस इंक्लूजन उत्सव’’ की शुरुआत 

लखनऊ। पूअरेस्ट एरियाज सिविल सोसाइटी (पीएसीएस) प्रोग्राम ने ‘‘पीएसीएस इंक्लूजन उत्सव’’ शीर्षक के तहत एक तीन दिवसीय कार्यक्रम की शुरुआत के साथ उत्तरप्रदेश  में अपने समुदाय लीडरशिप समारोह का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में उत्तरप्रदेश के कई गांवों से समुदाय आधारित संगठनों के लीडरों ने समाज वर्जित समुदायों की मदद करने के अपने अनुभव साझा किये ताकि वे सात वर्षीय कार्यक्रम के तहत अपने हकों एवं अधिकारों का दावा प्रभावशाली ढंग से कर सके। इस कार्यक्रम में एक व्यापक माॅडल साझा किया गया,  जिससे पीएसीएस सामाजिक वर्जित समूहों की जिंदगी में भिन्नता लाने में समर्थ हुआ है। उत्तरप्रदेश सरकार के तकनीकी शिक्षा राज्य मंत्री फरीद महफुज किदवई पीएसीएस इंक्लूजन उत्सव के मुख्य अतिथि थे। 

कार्यक्रम में पीएसीएस के साथ भागीदार सामाजिक संगठनों के सदस्यों, समान कार्य के लिए कार्यरत सीएसओ, सरकारी अधिकारियों, और राज्य के प्रभावशाली लोगों ने भाग लिया। कार्यक्रम में सीएसओ अगुवाओं ने अपने संबंधित कार्य क्षेत्र से उत्साह भरने वाली बातें साझा किए, जिसका सामाजिक वर्जित समुदाओं की जिंदगी में एक सकारात्मक असर पड़ा है। सभी प्रभावशाली एवं गणमान्य महानुभावांे की मौजूदगी में एक मंच बनाया गया है, ताकि महिलाओं अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, आर्थिक कमजोर मुस्लिमों और युवाओं तथा अपंग लोगों के बीच यह उत्साहवर्धक विकास कायम रहे।  

डिपार्टमेंट फाॅर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (डीएफआईडी), यूके की एक मुहिम पीएसीएस 2009 से भारत के 7 राज्यों में 90 गरीब जिलों में सामाजिक संगठनों के साथ भागीदारी में कार्य कर रहा है, ताकि राष्ट्रीय प्रोगामों/अधिनियमों में प्रदत्त अपने हकों एवं अधिकरों का दावा करने के लिए समाजिक वर्जित समूहों (एसईजी) को सशक्त एवं समर्थ बनाया जाए। पीएसीएस ने पांच समाज वर्जित समूहों-महिलाओं, अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियो, आर्थिक दृष्टि से गरीब मुस्लिमों और अपंगता में जीवन बिता रहे व्यक्तियों के साथ कार्य करना चुना है। 

पीएसीएस नेशनल डायरेक्टर आनंद बोलिमेरा ने कहा कि,‘पीएसीएस की शुरूआत इस लक्ष्य के साथ किया था कि सामाजिक वंचित समूहों और शेष लोगों के बीच कल्याणकारी अंतर कम किया जाए।’’ उन्होंने बताया कि,‘ मैं मानता हॅंू कि भेदभाव की समस्या दूर कर, अपने समुदाय को एक ठोस आवाज देकर, उनको ऐसा प्रशिक्षण देकर कि सेवा प्रदाताओं से अधिक जवाबदेही की उम्मीद हो और अंततः उनमें विशास जगाकर कि अपने अधिकरों के लिए सफलतापूर्वक बातचीत करें, हम बहुत प्रभावशालीढंग से यह करने में समर्थ हुए है।’’ 

उत्तरप्रदेश में पिछले सात वर्षो से पीएसीएस ने अनेक भागीदारों के साथ 17 जिलों के 2858 गांवों में 50 लाख से अधिक लोगों पर अपनी छाप छोड़ी है। प्रोग्राम के तहत 3889 समुदाय आधारित संगठनों (सीबीओ) का गठन किया गया, इनमें 93 प्रतिशत का नेतृत्व समाज वर्जित समूहों ने किया है। इन सीबीओं के पास 66120 सीबीओ सदस्य है, इनमें 94 फीसदी सामाजिक वर्जित समूहों से है। 

उत्तरप्रदेश में पीएसीएस के स्टेट मैनेजर प्रशांत कुमार अंचल ने कहा कि,‘‘पीएसीएस ब्लाॅक, जिला और राज्य स्तर पर सरकार और अन्य स्टेकहोलडरों के साथ सक्रिय रूप से जुड़ा है। उन्होंने कहा कि इस रणनीति के कारण हमारी एक सर्वाधिक उल्लेखनीय उपलब्धि थी कि 16 जिलों में 2500 स्कूल मैनेजमेंट कमेटी (एसएमसी) का गठन सर्व शिक्षा अभियान (एसएसए) के तहत शिक्षा विभाग के साथ सहयोग में किया गया। पीएसीएस ने अनेक सुझाव दिए और उसे शिक्षा विभाग द्वारा स्वीकार किया गया, इससे एसएमसी के पुर्नगठन में मदद मिली। हमारे सीएसओ पार्टनर आरटीई एक्ट के तहत बनी राज्य परामर्श समिति में नामित किए गए। 

प्रोग्राम के तहत 30 मिलियन पौंड का निवेश सात राज्यों में किया गया, यह समाज संगठनों के लिए अनुदान के रूप में और मौजूदा विकास कार्य को बढ़ाने दोनों के लिए किया गया है। पीएसीएस के अधिकांशकार्य का फोकस एमजीएनआरईजीए के तहत सरकारी प्रावधानों, शिक्षा (एसएसए और मिड डे मील) और जननी सुरक्षा योजना (जेएसवाय) के तहत स्वास्थ्य एवं पौष्टिक हक, राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना (आरएसबीवाय) और एकीकृत बाल विकास सेवा (आईसीडीएस) पर है।