बेंगलूरू। भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित प्रतिष्ठित वैज्ञानिक सीएनआर राव का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने विजन को हकीकत में बदलने के लिए सही वैज्ञानिक सलाह की जरूरत है तथा उन्हें अब मिशन आधारित परियोजनाओं की शुरूआत करनी चाहिए।

एक इंटरव्यू में राव ने मोदी की विज्ञान नीति, धर्म, असहिष्णुता और मदर टेरेसा के बारे में बात की। इंटरव्यू में राव से पूछा गया कि क्या आपको लगता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास विज्ञान को लेकर एक अच्छा नजरिया है? तो उनका कहना था कि निश्चित तौर पर वह एक विजन वाले व्यक्ति हैं। इस बात में कोई शक नहीं हैं कि वह कुछ करना चाहते हैं। हम उम्मीद करते हैं कि वह न सिर्फ अच्छी सलाह का इस्तेमाल करेंगे बल्कि उन सभी शानदार आइडियाज का भी इस्तेमाल करेंगे, जो उनके पास हैं। वह निश्चित तौर पर काम करने वाले व्यक्ति हैं। जब आप उनको सुनते हैं, तो आपको उनकी बातों में कुछ भी गलत नहीं लगता। वह जो कहते हैं, वह एकदम सही है। हमें उनमें से बहुत सी चीज करनी हैं।

राव से यह पूछे जाने पर कि आप कई प्रधानमंत्रियों के सलाहकार रहे हैं.. क्या प्रधानमंत्री की वैज्ञानिक सलाहकार परिषद निष्क्रिय पड़ गई है? क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सही वैज्ञानिक सलाह मिल पा रही है? तो उनका कहना था कि मैं उम्मीद करता हूं कि हमारे प्रधानमंत्री को सही सलाह के लिए सही लोग मिलेंगे क्योंकि कोई भी एक व्यक्ति या कोई एक मंत्रालय विज्ञान या समाज की वृहद समस्याओं से निपट नहीं सकता।

विज्ञान का इस्तेमाल करते हुए, हमें गरीबी की भारी समस्याओं को सुलझाना है और साथ-साथ बाकी दुनिया से स्पर्धा भी करनी है। ऐसे शोधों को बढ़ावा दिए जाने की जरूरत भी है, जिनके तत्काल अनुप्रयोग अभी दिख नहीं रहे। यदि भारत को ये सारी चीजें करनी हैं, तो प्रधानमंत्री मोदी को यह जानना होगा कि हमारी प्राथमिकताएं क्या हैं, हम कैसे आगे बढ़ें, किस चीज पर काम करें। मैं उम्मीद करता हूं कि उन्हें सही सलाह मिले और वह सलाह लेने के लिए कुछ लोगों का समूह बनाएं। मैं उम्मीद और प्रार्थना करता हूं कि वह ऐसा करें।

राव से पूछा गया कि प्रधानमंत्री मोदी विज्ञान को और ज्यादा बढ़ावा देने में किस तरह से मदद कर सकते हैं? इसके जवाब में राव ने कहा कि मोदी को न्यूनतम कोष वाले अच्छे संस्थानों को मदद देनी चाहिए ताकि वहां जो मौलिक प्रयास चल रहे हैं, वे उनसे वंचित न हो जाएं। पूर्व में 10-20 करोड़ रुपए की छोटी राशियों वाले कोष बंद कर दिए गए थे। मोदी को सरल एवं छोटे विज्ञान को बड़े तरीके से आर्थिक मदद देनी चाहिए। इनमें बीमारियों, नयी उर्जा तकनीकों और नए आधुनिक पदाथरें का विज्ञान शामिल है।

चुनिंदा किस्म की लेकिन बड़ी आर्थिक मदद की जरूरत है। मेरे अपने जीवन में अच्छी आर्थिक मदद भारत से नहीं, बल्कि कहीं और से मिली। यह बहुत गलत है कि भारत ने ऐसा नहीं किया है।