इंडिया गेट पर भारी विरोध प्रदर्शन 

नई दिल्‍ली: निर्भया कांड में दोषी नाबालिग को सुधार गृह से रिहा कर दिया गया है, लेकिन फिलहाल वह दिल्ली के एक एनजीओ की संरक्षण में रहेगा। उसकी रिहाई के खिलाफ इंडिया गेट पर प्रदर्शन करने के लिए बड़ी संख्या में लोग जुटे। निर्भया के माता-पिता भी इस प्रदर्शन में शामिल हुए। लेकिन पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को इंडिया गेट से हटा दिया। वहां पुलिस ने सुरक्षा के जबरदस्त इंतज़ाम किए हैं और बड़ी संख्या में पुलिसबल को तैनात किया गया है।

नाबालिग दोषी की रिहाई को रोकने के हरसंभव प्रयास में जुटी दिल्‍ली महिला आयोग ने जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड को एक चिट्ठी लिखी थी, जिसमें नाबालिग दोषी की रिहाई को रोकने की मांग की गई।

इससे पहले इस रिहाई के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सोमवार को सुनवाई करने को राजी हो गया। हालांकि अदालत ने इस दोषी की रिहाई पर रोक नहीं लगाई। 16 दिसंबर 2012 को दिल्ली में हुए नृशंस गैंगरेप के इस नाबालिग दोषी को मिली तीन साल की सजा पूरी हो गई है।

न्यायमूर्ति एके गोयल और न्यायमूर्ति यूयू ललित की एक अवकाशकालीन पीठ ने देर रात करीब दो बजे अपना आदेश सुनाया और मामले की अगली सुनवाई सोमवार को तय कर दी। बहरहाल, आयोग की अध्यक्ष मालीवाल और आयोग के वकीलों ने उम्मीद जताई थी कि चूंकि यह मामला अब न्यायालय में विचाराधीन है, लिहाजा सरकार और दिल्ली पुलिस नाबालिग दोषी को रिहा नहीं करेगी।

जस्टिस गोयल के आवास के बाहर मालीवाल ने पत्रकारों को बताया, ‘मामले की सुनवाई सोमवार को आइटम नंबर 3 के तौर पर होगी। मामला अब विचाराधीन हो गया है। मैं उम्मीद करती हूं कि सरकार और दिल्ली पुलिस एक दिन इंतजार करेगी और उसे रिहा नहीं करेगी।’

दरअसल दिल्ली उच्च न्यायालय ने पिछले दिनों दोषी की रिहाई पर रोक लगाने से इनकार करते हुए कहा था कि ऐसा कदम उठाने का कोई कानूनी प्रावधान नहीं है। ऐसे में इस नाबालिग की रिहाई रुकवाने की आखिरी कोशिश के तहत दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने सुप्रीम कोर्ट ने एसएलपी दाखिल की थी। इस एसएलपी को भारत के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति टी एस ठाकुर ने अवकाशकालीन पीठ को भेज दिया।

इससे पहले शनिवार को निर्भया के माता-पिता ने उस बाल सुधार गृह के बाहर प्रदर्शन किया, जहां उस नाबालिग़ को रखा गया था। पुलिस के मुताबिक सुरक्षा के मद्देनज़र उन्हें धरने की जगह से हटाकर छोड़ दिया गया। पीड़िता की मां ने कहा कि दिल्‍ली महिला आयोग को ये कदम पहले ही उठाना चाहिए था।