नई दिल्‍ली: आज से ठीक तीन साल पहले देश की राजधानी दिल्‍ली में चलती बस में एक युवा मेडिकल छात्रा गैंगरेप का शिकार बनी थी। बुधवार को इसी छात्रा की मां ने न्‍याय के लिए अपनी जंग जारी रखने का ऐलान करते हुए दो टूक कहा, ‘मेरी बेटी का नाम ज्‍योति सिंह है और मुझे उसका नाम उजागर करने में जरा भी शर्मिंदगी नहीं है। आपको भी उसका नाम लेना चाहिए।’

अपनी बेटी को याद करते हुए आशा देवी और बद्रीनाथ ने मामले से जुड़े एक सबसे कम उम्र के आरोपी की रिहाई के खिलाफ भी लोगों से भावुक अपील की। गौरतलब है कि सामूहिक दुष्‍कर्म की शिकार बनी छात्रा की घटना के 13 दिन बाद ही मौत हो गई थी, जबकि मामले में दोषी पाया गया सबसे कम उम्र का आरोपी (घटना के समय आरोपी नाबालिग था) की जल्‍द ही रिहाई होने वाली है।

आशा देवी ने कहा, ‘मैं नहीं जानती  कि वह 16 साल का है या 18 का। मैं केवल यह जानती हूं कि अपराध इतना निर्दयतापूर्ण है तो सजा के लिए आयु की कोई सीमा नहीं होनी चाहिए।’ उन्‍होंने कहा, ‘आखिर हमें क्‍या न्‍याय मिला। गैंगरेप की इस घटना की तीसरी बरसी पर कुसूरवार को छोड़ा जा रहा है।’ इस मां की अपील की असर संसद में भी सुनाई दिया।

गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने सोमवार को दिल्‍ली हाईकोर्ट से मामले के सबसे कम उम्र के आरोपी की बाल सुधार गृह की अवधि बढ़ाने का आग्रह किया है। इस आरोपी की उम्र अब 21 वर्ष हो चुकी है।