लखनऊ। भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माले) ने उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता अध्यादेश 2015 में उस संशोधन की कड़ी आलोचना की है, जिसमें दलितों की जमीन गैर-दलितों को बेचने के लिए छूट देने का प्रावधान किया गया है। पार्टी ने इस संशोधन को घोर दलित-विरोधी बताते हुए इसे रद्द करने की मांग की है।

पार्टी राज्य सचिव रामजी राय ने कहा कि सपा सरकार के इस फैसले से दलितों की जमीन की दबंगों द्वारा लूट होगी। उन्होंने कहा कि सामाजिक-आर्थिक रुप से वंचित दलित समुदाय के बड़े हिस्से के पास या तो जमीन नहीं है और वे खेत मजदूर हैं या बहुत थोड़ी जमीन है। जिन दलितों के पास जमीन है, उन्हें एक न्यूनतम सीमा (3.5 एकड़) तक जमीन हर हाल में अपने पास बनाये रखने और उसे गैर-दलित द्वारा किसी भी तरह से हस्तांतरित कर लेने से कानूनी सुरक्षा मिली हुई थी। लेकिन इस कानून में संशोधन के सपा सरकार के प्रस्ताव को अध्यादेश के रुप में राज्यपाल द्वारा मंजूरी प्रदान कर देने से अब यह सीमा हट गई है। इसका परिणाम घातक होगा और प्रदेश में दलितों की जमीन की जबरिया लूट शुरु हो जायेगी। इससे दलित समुदाय और कमजोर होगा। इस तरह से सपा सरकार का यह कदम न सिर्फ दलित-विरोधी बल्कि लोकतंत्र-विरोधी है।