संभल। संभल जनपद अन्तर्गत असमोली विकास खण्ड के गांव मंसूरपुर माफी गांव में वह हुआ जो पिछले पचास साल से नहीं हुआ था। पहली बार गांव की महिला भी मतदान केंद्र तक पहुंची और अपना वोट डाला। गांव की महिलाओं को मतदान कराने के लिए जिला प्रशासन दिन भर जुटा रहा मगर कामयाबी नहीं मिली। कामयाबी तब मिली जब खुद डीएम गांव पहुंचे और ग्रामीणों को समझाया। इसके बाद ही यह संभव हो पाया। हालांकि इस बार महज 9 महिलाओं के ही वोट डाले जा सके,मगर ग्रामीणों ने अगले चुनाव में सभी महिलाओं को मतदान केंद्र तक लाकर वोट डलवाने का आश्वासन दिया है। 

महिलाएं हर क्षेत्र में पुरुषों की बराबरी कर रही हैं, महिलाओं के हक के लिए लगातार आवाजें बुलंद हो रही हैं मगर एक गांव ऐसा भी है जहां महिलाओं को उनके हक से वंचित रखा जाता था। यहां महिलाओं को वोट डालने का हक नहीं था। गांव प्रधान के चुनाव में गांव के पुरुष मतदाता ही मतदान केंद्र पर वोट डालने जाते थे। इस बार इस गांव में ग्राम प्रधान का पद महिला के लिए आरक्षित किया गया। 12 महिलाओं के नामांकन ग्राम प्रधान पद के लिए कराये गये थे। इसके बावजूद गांव के पुरुष महिलाओं को वोट डालने की इजाजत नहीं दे रहे थे। मुस्लिम बाहुल्य इस गांव में महिलाओं का मतदान कराने के लिए जिला प्रशासन प्रयास कर रहा था। मतदान के दिन भी सुबह से दोपहर तक एसडीएम सीओ से लेकर सारा अमला लगा रहा मगर गांव के लोग नहीं माने। दोपहर को डीएम एनकेएस चौहान एसपी अतुल सक्सैना के साथ खुद गांव पहुंचे और लोगों को समझाया। घंटों की मशक्कत के बाद डीएम को सफलता तब मिली जब मौहम्मद आरिफ अपनी बेटी ग्राम प्रधान पद प्रत्याशी गुल-ए-राना का वोट डलवाने को तैयार हुआ। गुलेराना ने वोट डाला तो फिर जाहिदा अशरफ,मेहरुनिशा,मेहनाज,शाकिर जहां सहित कुल 9 महिलाओं ने मतदान केंद्र पर आकर अपना वोट डाला। इस तरह गांव में महिलाओं के वोट न डालने की परम्परा टूट गई। ग्रामीणों ने डीएम को आश्वासन दिया कि अगले चुनाव में सभी महिलाओं के वोट डलवाये जायेंगे।