नई दिल्ली: जस्टिस तीरथ सिंह ठाकुर ने भारत के 43वें प्रधान न्यायधीश के रूप में शपथ ले ली है। जस्टिस ठाकुर ने 3 दिसंबर की सुबह राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में पद की शपथ ली है।

जस्टिस ठाकुर की पहली नियुक्ति जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय में 16 फरवरी 1994 को अतिरिक्त न्यायधीश के रूप में हुई थी। इससे पहले जस्टिस टीएस ठाकुर लंबे समय तक जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट में ही प्रैक्टिस करते रहे थे। उन्हें सिविल, आपराधिक, संवैधानिक, टैक्स मामलों का विशेषज्ञ माना जाता है।

मार्च 1994 में जस्टिस ठाकुर को स्थानांतरित कर कर्नाटक उच्च न्यायालय में न्यायधीश नियुक्त किया गया। जुलाई 2004 में जस्टिस ठाकुर की नियुक्ति दिल्ली उच्च न्यायालय में की गई, जहां वे अप्रैल 2008 तक कार्यकारी मुख्य न्यायधीश के पद पर रहे। 11 अगस्त 2008 को जस्टिस ठाकुर ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायधीश का पद संभाला और इसके बाद 17 नवंबर 2009 को जस्टिस ठाकुर को सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त किया गया।

सुप्रीम कोर्ट में अब तक के अपने कार्यकाल में जस्टिस ठाकुर ने कई अहम मामलों की सुनवाई की है जिनमें BCCI और  आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग, पश्चिम बंगाल का शारदा चिट फंड घोटाला, उत्तर प्रदेश का NRHM घोटाला, गंगा का सफाई, और सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय की रिहाई के लिए दायर याचिकाएं शामिल हैं। जस्टिस टीएस ठाकुर लगभग 1 साल 1 महीने तक भारत के मुख्य न्यायधीश पद पर रहेंगे।