अवार्ड वापस करने वालों से सरकार बात करने को तैयार 

नई दिल्ली। असहिष्णुता पर लोकसभा में चल रही चर्चा में राहुल गांधी के हमलों के बाद गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने करारा जवाब दिया है। राजनाथ सिंह ने कहा कि सहिष्णुता हमारे देश की परंपरा रही है। इस समय देश में असहिष्णुता का बनावटी माहौल खड़ा किया जा रहा। राजनाथ ने अवार्ड वापस करने वाले सभी कलाकारों से अपना सम्मान वापस लेने की अपील की है। उन्होंने कहा कि सरकार असहिष्णुता पर उनसे बात करने को तैयार है।

असहिष्णुता का विचार देश के लिए आत्मघाती है। हम ऐसे बयानों से आखिर क्या संदेश देना चाहते हैं। दुनिया में भारत की छवि खराब नहीं करिए। पुरस्कार वापस लेने वाले लोगों ने लोकसभा चुनाव से पहले एक बयान जारी किया था, जिसमें कहा गया कि मोदी को देश का नेतृत्व नहीं करने देना चाहिए। मैं उन लोगों के नाम नहीं लेना चाहता। ये लोग जनमत का आदर नहीं करना चाहते। क्या यही असहिष्णुता है? मोदी को मिले जनमत का आदर करिए। राजनाथ सिंह ने कहा कि कांग्रेस दूसरों की भी सुने। देश विविधताओं से भरा हुआ है। ऐसा उदाहरण विश्व में कहीं नहीं मिलेगा।

राजनाथ ने कहा कि इस देश में असहिष्णुता की 3 बड़ी घटनाएं हुईं हैं। देश में असहिष्णुता की सबसे बड़ी घटना बंटवारा के समय हुई। हमारी विचारधारा के लोग उस समय यह बंटवारा नहीं चाहते थे। हम अखण्ड भारत चाहते थे। देश में दूसरी बड़ी असहिष्णुता की घटना इमरजेंसी के दौरान हुई थी। और उसके बाद 1984 के समय तीसरी बड़ी असहिष्णुता की घटना हुई।

राजनाथ ने कहा कि तसलीमा नसरीन पर किस पार्टी के लोगों ने हमला किया। जयप्रकाश जी की आवाज दबाने के लिए देश पर इमरजेंसी थोपी गई। प्रेस की आजादी भी छीनी गई। तब ये जमात कहां थी। तब इनकी संवेदना के तार क्यों नहीं बजे। उन्होंने कहा कि विश्व में सर्वाधिक सहिष्णुता भारत में है। उन्होंने देश से कहा कि मैं विश्वास दिलाना चाहता हूं कि यहां की धार्मिक समरसता को बिगाड़ने वाले की खैर नहीं होगी। पाकिस्तान इराक, ईरान जैसे देशों का हवाला देते हुए राजनाथ ने कहा कि वहां आपसी लड़ाई होती है। उनकी हालत दोयम दर्जे की हो गई है। वहीं भारत में हर धर्म के लोग उन्मुक्त माहौल में रह रहे हैं।