लंबी दूरी की दौड़ों में धावकों के लिए पेससेटर बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, विशेषकर मैराथन दौड़ों में धावकों को अपने प्रतिस्पर्धियों के खिलाफ बड़ी सूझ-बूझ के साथ पेससेटर का इस्तेमाल करना पड़ता है। यही ही नही पेससेटर खुद के धावक के लिए जीत की एक ऐसी सीढ़ी तैयार करते हैं, जिसके उपर चढ़कर ही वो मैराथन दौड़ों में सफलता हासिल कर सकता है।

पेस सेटर धावक होते हैं और उनको दौड़ों का काफी अनुभव होता है तथा दौड़ की गति को सेट करने की कला में वे पारंगत समझे जाते हैं। पेस सेटर एक प्रतिबद्ध धावक होता है और वो दौड़ की पूरी दूरी के दौरान के एक ऐसी गति स्थिर करने में सक्षम होता है कि उसके पीछे चल रहा धावकों का समूह दौड़ के शुरु से लेकर अंत तक पूर्व निर्धारित समय के अनुसार समूह में बना रहता है।

पेस सेटर के पीछे चल रहे समूह को ‘बस’ कहा जाता है। इसके पीछे की योजना यह होती है कि पेसर वादा किए हुए समय से कुछ मिनट पहले ही अपनी दौड़ समाप्त करे। तो अगर आप सब 2:30 बस में शामिल होते हैं तो पेस सेटर आपको फिनिश लाईन तक 2:25 और  2:29 घंटे के बीच के समय के साथ नेतृत्व करेगा, ना कि 2:15 या फिर 2:32 के समय तक करेगा।  

दौड़ वाले दिन आप अपने पेस सेटर से सीडिंग एरिया में मिल सकते हैं, प्रत्येक पेस सेटर के नीचे उसके पूरे विवरण का उल्लेख दिया गया रहेगा। आप विभिन्न पेस सेटरों को उनके ध्वज की मदद से पहचान सकते हैं, जिसे कि वे धारण किए रहेंगे, जिसमें उनके अपेक्षित समय का उल्लेख किया रहेगा कि वे कितने समय में फिनिश लाईन को क्रॉस करेगें। फिनिश समय का मतलब अनिवार्य रुप से वास्तविक फिनिश समय होता है; जिसका अर्थ दौड़ प्रारंभ होने के बाद से एक व्यक्ति द्वारा दौड़ को खत्म करने में लगने वाला पूर्ण समय होता है।

 पेसर्स के विवरण:

1:45 बस-एल्फ्रेडो मिरान्डा

1:45 बस- कपिल अरोरा

2:00 बस-संदीप श्रीवास्तव

2:00 बस-अमित ओझा

2:10 बस- गौरव प्रान्सु गर्ग

2:10 बस-संगीता सैकिया

2:20 बस-संजीव छाबरा

2:20 बस-कुमार अमरेश

2:20 बस-जोगिन्दर चन्द्रा

2:30 बस-विनोद कौल

2:30 बस-राहुल वर्गीज

2:30 बस-मीनल सुखीजा कोटक

2:40 बस-रोहित गोसालिया

2:40 बस- रीटा डागर

2:40 बस- निखिल शशिधरन

2:50 बस- निखिल शर्मा

2:50 बस- अंकुश मेन्डिराता