जवाहर नवोदय विद्यालयों के उर्दू शिक्षकों का पाँच दिवसीय प्रशिक्षण शुरू

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में जवाहर नवोदय विद्यालयों में उर्दू भाषा दूसरी भाषा के रूप में कक्षा 6 से 9 तक के विद्यार्थियों (तालिबइल्मों) को पढ़ाई जाती है। प्रदेश में जवाहर नवोदय विद्यालयों में हिन्दी भाषी विद्यार्थी भी उर्दू भाषा में शिक्षा प्राप्त करते हैं, जबकि जम्मू-कश्मीर में जवाहर नवोदय विद्यालयों में कक्षा 6 से 10 तक उर्दू भाषा पढ़ाई जाती है। पाँच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन  ऐसे उर्दू शिक्षकांे के लिए आयोजित किया गया है, जो उर्दू को द्वितीय भाषा के रूप में जवाहर नवोदय विद्यालयों में पढ़ाते हैं। 

यह जानकारी आज निशातगंज स्थित राज्य शैक्षिक अनुसंधान परिषद के सभागार में श्री मोहम्मद मोअज़्ज़मुद्दीन, ऐसोसियेट प्रोफेसर एण्ड प्रोग्राम कोआॅर्डिनेटर एन0सी0ई0आर0टी0 नई दिल्ली, द्वारा दी गई। 

श्री मोहम्मद मोअज़्ज़मुद्दीन ने बताया कि इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य उर्दू शिक्षकों को उर्दू भाषा पढाने की विधि (तरीके) के नये आयाम से परिचित कराते हुए उनकी शिक्षण कौशल क्षमता (तदरीसी सलाहियत) को बढ़ाना है। साथ ही उर्दू जुबान की अहमियत से विद्यार्थियों को अवगत कराना है। जवाहर नवोदय विद्यालयों में उर्दू भाषा को द्वितीय भाषा के रूप में पढ़ाने के सम्बन्ध में राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद, नई दिल्ली द्वारा राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद, उ0प्र0, लखनऊ के सभागार में उर्दू अध्यापकों का पाँच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का 20 नवम्बर से प्रारम्भ किया गया है । 

इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित प्रदेश के बेसिक शिक्षा मंत्री अहमद हसन द्वारा प्रशिक्षण कार्यक्रम में उपस्थित प्रतिभागियों को सम्बोधित करते हुए उर्दू भाषा की अहमियत के सम्बन्ध में अवगत कराया गया। उन्होने कहा कि उर्दू एक ऐसी भाषा है जो भारत के अधिकतर इलाकों में बोली जाती है तथा आसानी से लोगों द्वारा समझी जाती है। यह अवामी जुबान है। भारत की आजादी के समय भी उर्दू भाषा ने आजादी की ललक को जगाये रखा। वर्तमान सरकार ने ही प्रथम बार मोअल्लिम-ए-उर्दू अहर्ताधारी अभ्यर्थियों की उर्दू शिक्षक के रूप में बड़े पैमाने पर नियुक्तियाँ की तथा उर्दू भाषा को रोज़ी-रोटी का ज़रिया बनाया। सरकार की आगे भी इसी प्रकार उर्दू भाषा के शिक्षकों की नियुक्ति की योजना है। शिक्षा ही देश का भविष्य तय करेगी, जैसी शिक्षा क्लासरूम में दी जायेगी वैसा ही हमारा आने वाला समय होगा।  

श्रीमती डिम्पल वर्मा, प्रमुख सचिव, बेसिक शिक्षा, उत्तर प्रदेश शासन द्वारा प्रतिभागियों को सम्बोधित करते हुए उर्दू भाषा की खूबसूरती पर प्रकाश डाला गया। उर्दू भाषा हमारे लिए धरोहर के समान है इसलिए इसका सम्मान होना चाहिए। शिक्षक ही वह कड़ी है, जो बच्चों को यह बताती है कि हमारी भाषायी संस्कृति कैसी थी तथा कैसी होनी चाहिए। प्रदेश सरकार द्वारा वर्ष 2005 से ही उर्दू भाषा को बढ़ावा देने हेतु परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों में विशेष रूप से उर्दू अध्यापकों की नियुक्तियाँ कर रही है। इस क्रम में अब तक वर्तमान सरकार ने प्रदेश में लगभग 4000 उर्दू अध्यापकों की नियुक्ति की है।

इस मौके पर विजय बहादुर सिंह विशेष सचिव बेसिक शिक्षा, शीतल वर्मा राज्य परियोजना निदेशक (एस0एस0ए0), डाॅ0 सर्वेन्द्र विक्रम बहादुर सिंह निदेशक एस0सी0ई0आर0टी0, दिनेश बाबू शर्मा शिक्षा निदेशक (बेसिक), उपस्थित थे। प्रशिक्षण कार्यक्रम में जम्मू-कश्मीर, मध्य प्रदेश तथा उत्तर प्रदेश राज्य के जवाहर नवोदय विद्यालयों के उर्दू विषय के शिक्षकों द्वारा प्रतिभाग किया जा रहा है। 

डाॅ0 सर्वेन्द्र विक्रम बहादुर, निदेशक, एस0सी0ई0आर0टी0, उ0प्र0, लखनऊ द्वारा प्रशिक्षण में आमंत्रित विशेष अतिथियों का स्वागत करते हुए प्रतिभागियों को प्रोत्साहित किया गया।