रानी लक्ष्मीबाई के जन्म दिवस पर परिचर्चा का आयोजन

लखनऊ:  वीरागंना रानी लक्ष्मीबाई ने अपने पूरे जीवन काल में संघर्ष किया। जहां एक ओर वे अंग्रेजों से लड़ीं, वहीं दूसरी ओर अपने भितरघातियों का भी डट कर सामना किया। उन्होंने 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में क्रांति की अलख जगाई। देश की स्वतंत्रता के लिए लड़ते-लड़ते वीरगति को प्राप्त हुई।

यह विचार प्रदेश की संस्कृति राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अरूण कुमारी कोरी ने आज यहां व्यक्त किये। वे आज यहां यू0पी0 प्रेस क्लब में झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के जन्म दिवस पर आयेाजित ’’शिक्षा में लड़कों से आगे लड़कियां पर रोजगार में पीछे’’ हैं विषयक परिचर्चा में बोल रहीं थीं। उन्होंने कहा कि रानी लक्ष्मीबाई तथा श्रीमती इंदिरा गांधी का जन्म दिवस आज ही है। ये महान शक्तियां देश में महिला सशक्तिकरण की एक मिसाल है। 

श्रीमती कोरी प्रदेश में महिलाओं की चर्चा करते हुए कहा कि वर्तमान समाज में रूढ़िवादिता में काफी कमी आयी हैं महिलाओं को आज समाज में बेचारी की संज्ञा नहीं दी जा सकती है। आज वे समाज में सक्षम रूप से आगे बढ़ रही है। उन्होंने कार्यक्रम के दौरान भू्रण हत्या की चर्चा करते हुए कहा कि भ्रूण हत्या की रोकथाम के लिए प्रदेश सरकार ने काफी उल्लेखनीय कदम उठाये हैं। इसी का परिणाम है कि भ्रूण हत्या न करने के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ी है। प्रदेश सरकार रानी लक्ष्मीबाई वीरता पुरस्कार देकर महिलाओं के सशक्तिकरण पर जोर दे रही है। सरकार प्रदेश में महिलाओं की सुरक्षा के प्रति काफी संवेदनशील है।

समाज कल्याण बोर्ड की अध्यक्षा रूपल अग्रवाल ने कहा कि समाज में बहुत बड़ी विडम्बना है कि आज भी केवल 27 प्रतिशत महिलाएं नौकरी पेशा है। आज भी महिलाएं पुरूषों पर आश्रित है। इनकों स्वावलम्बी बनाना हमारा उत्तरदायित्व है। उन्होंने कहा कि देश की उन्नति में योगदान देने लिए महिलाओं को आगे आना होगा। रानी लक्ष्मीबाई को एक आदर्श के रूप में लेकर समाज में बढ़-चढ़ कर अपनी भागीदारी सुनिश्चित करनी होगी। उन्होंने महिलाओं से श्रीमती इन्दिरा गांधी, कल्पना चावला की तरह स्वावलम्बी बनने की अपील की।

कार्यक्रम में वूमेन पावर लाइन की डिप्टी एस0पी0  बबिता सिंह, समाज सेवी रजिया नवाज, लोकमत समाचार पत्र की सम्पादक  प्रतिभा सिंह एवं आनन्द वर्धन सिंह तथा पंकज चतुर्वेदी ने अपने-अपने विचार व्यक्त किये।